SEBI के प्रस्तावित F&O मानदंडों से इन्‍हें हो सकता है नुकसान, रिपोर्ट में जताई यह आशंका

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
रविवार, 11 अगस्त 2024 (19:04 IST)
These may suffer losses due to SEBI's proposed F&O norms : प्रतिभूति बाजार में वायदा एवं विकल्प (F&O) कारोबार को विनियमित करने के लिए नियामक सेबी के प्रस्तावित उपायों से शेयर बाजारों और ब्रोकरों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है।
 
हालांकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ये उपाय खुदरा कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए किए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी के इन उपायों से एफएंडओ कारोबार की मात्रा में 30-40 प्रतिशत की गिरावट आएगी। अगर इन उपायों को लागू किया गया तो खुदरा निवेशकों की संख्या में कमी आ सकती है।
 
इसके अलावा छूट देने वाले ब्रोकर, जो खुदरा निवेशकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, वे पारंपरिक ब्रोकरों की तुलना में अधिक प्रभावित हो सकते हैं। विकल्प वित्तीय अनुबंध होते हैं, जो धारक को अनुबंध अवधि के भीतर किसी परिसंपत्ति को तय मूल्य पर खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं।
ALSO READ: Hindenburg Research : हिंडनबर्ग के आरोप 'चरित्र हनन' का प्रयास, SEBI चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का बड़ा बयान
सेबी के इन सात प्रस्तावों में साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों को युक्तिसंगत बनाना, परिसंपत्तियों की स्ट्राइक कीमतों को युक्तिसंगत बनाना और अनुबंध समाप्ति के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभों को हटाना शामिल है। अन्य चार प्रस्तावों में विकल्पों के खरीदारों से विकल्प प्रीमियम का अग्रिम संग्रह, सौदे करने की सीमा की दिन में कारोबार के दौरान निगरानी, ​​लॉट आकार में वृद्धि और अनुबंध समाप्ति के निकट मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि शामिल हैं।
 
जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों की संख्या को 18 से घटाकर छह करने के सेबी के प्रस्तावित उपायों से उद्योग के प्रीमियम पर लगभग 35 प्रतिशत प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर कारोबार बाकी अनुबंधों पर स्थानांतरित होता है तो समग्र प्रभाव 20-25 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
ALSO READ: Hindenburg : हिंडनबर्ग के आरोपों को Adani Group ने बताया दुर्भावनापूर्ण, SEBI प्रमुख को लेकर दिया यह बयान
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 तक एनएसई की आय में 25-30 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जबकि बीएसई की आय में 15-18 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। जेफरीज का यह भी मानना ​​है कि बैंकेक्स साप्ताहिक अनुबंध को हटाने से वित्त वर्ष 2025-27 के दौरान बीएसई की प्रति शेयर आय (ईपीएस) पर 7-9 प्रतिशत का असर पड़ सकता है।
 
इसने आगे कहा कि बीएसई की आय में थोड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन अगर ट्रेडिंग गतिविधि दूसरे उत्पादों पर चली जाती हैं तो यह प्रभाव कम हो सकता है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने अनुमान जताया कि इन नियमों से एमसीएक्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan Conflict : सिंधु जलसंधि रद्द होने पर प्यासे पाकिस्तान के लिए आगे आया चीन, क्या है Mohmand Dam परियोजना

Naxal Encounter: कौन था बेहद खौफनाक नक्‍सली बसवराजू जिस पर था डेढ़ करोड़ का इनाम?

ज्‍योति मल्‍होत्रा ने व्‍हाट्सऐप चैट में हसन अली से कही दिल की बात- कहा, पाकिस्‍तान में मेरी शादी करा दो प्‍लीज

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद

गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ी, खुश हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

ट्रंप के दावे पर पीएम मोदी की चुप्पी से कांग्रेस नाराज, पूछा सवाल

प्रधानमंत्री ने लिया माता करणी का आशीर्वाद जहां बांटा जाता है चूहों का भोग लगा प्रसाद, जानिए मंदिर का रोचक इतिहास

CM Helpline: मुख्यमंत्री धामी ने शिकायतकर्ताओं से पूछा आपका काम हुआ कि नहीं?

ट्रांसफॉर्मर से उठी चिंगारी से खाक हुआ पूरा गांव, 200 घर जलकर राख

करणी माता मंदिर पहुंचे पीएम मोदी, जानिए क्यों खास है सरहदी जिले में बना यह मंदिर?

अगला लेख