सबरीमाला मंदिर विवाद, महिलाओं के प्रवेश के मामले से जुड़ा संपूर्ण घटनाक्रम

Webdunia
गुरुवार, 14 नवंबर 2019 (15:17 IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मामले में दिए गए उसके फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाएं 7 न्यायाधीशों की वृहद पीठ के पास भेजते हुए गुरुवार को कहा कि धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध केवल सबरीमाला तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य धर्मों में भी ऐसा है। पूरे मामले का घटनाक्रम इस तरह से रहा-
 
1990 : एस. महेंद्रन ने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की।
 
5 अप्रैल 1991 : केरल उच्च न्यायालय ने मंदिर में एक निश्चित आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को बरकरार रखा।
 
4 अगस्त 2006 : इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की।
 
नवंबर 2007 : केरल की एलडीएफ सरकार ने महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका का समर्थन करते हुए हलफनामा दायर किया।
 
11 जनवरी 2016 : सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने की प्रथा पर सवाल उठाए।
 
6 फरवरी : कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने यू-टर्न लिया, सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 'इन श्रद्धालुओं के अपने धर्म का पालन करने के अधिकार की रक्षा' करना उसका कर्तव्य है।
 
11 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं पर रोक से लैंगिक समानता खतरे में है।
 
13 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई परंपरा महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को न्यायोचित नहीं ठहरा सकती।
 
21 अप्रैल : हिंद नवोत्थान प्रतिष्ठान और नारायणश्रम तपोवनम ने महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
 
7 नवंबर : एलडीएफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ताजा हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि वह सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है।
 
13 अक्टूबर 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को भेजा।
 
27 अक्टूबर : मामले पर सुनवाई के वास्ते लैंगिक रूप से समान पीठ के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर।
 
17 जुलाई 2018 : 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले पर सुनवाई शुरू की।
 
19 जुलाई : न्यायालय ने कहा कि मंदिर में प्रवेश करना महिलाओं का मौलिक अधिकार है और उसने आयु वर्ग के पीछे के तर्क पर सवाल उठाए।
 
24 जुलाई : न्यायालय ने स्पष्ट किया कि महिलाओं के प्रवेश पर रोक को 'संवैधानिक प्रकृति' के आधार पर परखा जाएगा।
 
25 जुलाई : नायर सर्विस सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सबरीमाला मंदिर के देवता भगवा अयप्पा की ब्रह्मचर्य प्रकृति की संविधान में रक्षा की गई है।
 
26 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध से अनजान बना नहीं रह सकता क्योंकि उन्हें माहवारी के 'शारीरिक आधार' पर प्रवेश से रोका गया है।
 
1 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रखा।
 
28 सितंबर : सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देते हुए कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने से रोकना लैंगिक भेदभाव है और यह हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने वाली प्रथा है।
 
8 अक्टूबर : नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फैसले की समीक्षा की मांग की।
 
23 अक्टूबर : सुप्रीम कोर्ट 13 नवंबर को पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवायी के लिए राजी हुआ।
 
13 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए 22 जनवरी को खुली अदालत में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।
 
14 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया।
 
3 दिसंबर : केरल सरकार ने संबंधित मामलों को उच्च न्यायालय से शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर न्यायालय का रुख किया।
Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख