जैसलमेर (राजस्थान)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और परिवार के साथ बिताए जाने वाले समय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है, जो बहुत कठिन परिस्थितियों में भारत की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं।
राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर 'रोहिताश' चौकी पर सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के जवानों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सरकार उन सैनिकों के कल्याण के लिए सब कुछ करेगी जो मातृभूमि की रक्षा में अपने जीवन के सुनहरे दिन बिताते हैं।
शाह राज्य के जैसलमेर की दो दिवसीय दौरे पर हैं। वे अपने दौरे की पहली रात 'रोहिताश' सीमा चौकी पर बिता रहे हैं, जहां उन्होंने 'बड़ा खाना' (दावत) के दौरान जवानों के साथ भोजन किया। शाह ने शाम को एक 'सैनिक सम्मेलन' में सैनिकों से कहा, मैं आज रात यहां आपके साथ इस चौकी पर रुकने वाला हूं और यह आपकी कठिनाइयों को समझने और समस्याओं को कम करने के तरीके खोजने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि रोहिताश चौकी पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान बीएसएफ और सेना के जवानों के गौरव और बहादुरी की गवाह है। शाह ने कहा कि उनकी सरकार ने जवानों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक बिंदु बनाया है और इसीलिए 'आयुष्मान सीएपीएफ' योजना शुरू की गई है।
मंत्री ने कहा, आप केवल एक कार्ड स्वाइप करके अपने परिवारों के लिए सभी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह नई योजना बीएसएफ जैसे बलों पर प्रशासनिक बोझ को कम करेगी, पहले के विपरीत जब उन्हें कई स्वास्थ्य बिलों का भुगतान करना पड़ता था।
आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि 2 दिसंबर तक विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के कर्मियों के बीच 25 लाख 'आयुष्मान सीएपीएफ' स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ में साढ़े चार लाख कार्ड बांटे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा, हम इन कार्डों को अगले साल फरवरी तक वितरित करना चाहते हैं, जिससे जवानों और उनके परिवारों को, प्रत्येक कर्मियों और उनके परिजनों को आसान स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित हो सकें। उन्होंने कहा, हम सीएपीएफ कर्मियों के लिए आवास संतुष्टि स्तर में सुधार करने के लिए भी काम कर रहे हैं और 2024 तक काफी प्रगति हासिल की जाएगी और हम वैज्ञानिक रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम कर रहे हैं कि प्रत्येक जवान को हर साल अपने परिवारों के साथ 100 दिन बिताने का मौका मिले।
शाह ने बीएसएफ जवानों से पूछा कि क्या उन्होंने कभी सोचा है कि उन्होंने बल में काम करने का कठिन काम क्यों चुना और उन्होंने तुरंत जवाब दिया, ताकि देश के 130 करोड़ नागरिक रात में अच्छी नींद लें, क्योंकि वे जानते हैं कि आप मोर्चों की रखवाली कर रहे हैं, उन्हें आप पर भरोसा है।
मंत्री ने कहा, आप इस विश्वास के महत्व को नहीं समझ सकते, मोदी सरकार आपकी कड़ी मेहनत को स्वीकार करने के लिए बहुत ईमानदार और विनम्र प्रयास कर रही है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है और वह वैश्विक व्यवस्था में अपनी योग्य स्थिति का दावा करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने जवानों से कहा, हमें इस प्रयास में सफलता मिल रही है। देश में सभी विकास चल सकते हैं क्योंकि आप देश की आंतरिक सुरक्षा को इतनी अच्छी तरह सुनिश्चित कर रहे हैं। मंत्री ने सीएपीएफ जवानों के कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे उनके बच्चों के लिए चिकित्सा शिक्षा में सीटों का आरक्षण, 'भारत के वीर' कल्याण कोष और विकलांगता या मृत्यु के मामले में किए गए विभिन्न अन्य भुगतानों के बारे में बताया।
रविवार को शाह यहां बीएसएफ के 57वें स्थापना दिवस समारोह और परेड के मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। मंत्री परेड की सलामी लेंगे और सैनिकों को संबोधित करेंगे। इससे पहले दिन में शाह ने यहां थार रेगिस्तान स्थित 'तनोट माता' मंदिर में दर्शन किए। बीएसएफ मंदिर का प्रबंधन करती है, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित है।
ऐसा कहा जाता है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ था, जबकि पाकिस्तानी सेना द्वारा इस क्षेत्र में करीब 450 गोले दागे गए थे। तब से देवी मां को सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले सुरक्षाकर्मियों और स्थानीय लोगों की रक्षक माना जाता है। सैनिकों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने के बाद मंत्री ने मंदिर में प्रार्थना की और बाद में 'तनोट विजय स्मारक' पर पुष्पचक्र अर्पित किया।
बीएसएफ जवानों के साथ इस संवाद से पहले, मंत्री को महानिदेशक (डीजी) पंकज कुमार सिंह सहित अर्धसैनिक बल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ऑपरेशन और सीमा क्षेत्र की सामान्य सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई। लगभग 2.65 लाख कर्मियों वाले बीएसएफ का गठन 1 दिसंबर, 1965 को किया गया था और इसका प्राथमिक कार्य पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगती भारतीय सीमा की रक्षा करना है।(भाषा)