चालकरहित वाहन प्रौद्योगिकी में अब भारतीयों की निगाहें

Webdunia
रविवार, 18 जून 2017 (15:50 IST)
नई दिल्ली। आईआईटी स्नातकों और उनके वरिष्ठों का एक समूह 'मिड-समर' उनके द्वारा तैयार पूर्ण रूप से चालकरहित वाहन के दूसरे दौर के परीक्षण के लिए तैयार है और इसके सेंसर की जांच को लेकर वे एक बार फिर अपने अपने लैपटॉप की मदद से गुरुग्राम के बाहरी इलाके में कड़ी मेहनत में जुटे हैं।

बहरहाल, हाईटेक रोबोटिक सिस्टम्ज लिमिटेड में इस तरह के परीक्षण के लिए उनके पास बेहद कम जगह है, बावजूद इसके यह कंपनी को उसके स्वचालित वाहन 'नोवस ड्राइव' के विकास से नहीं रोक पाया। पिछले साल ऑटो एक्सपो में नोवस ड्राइव का प्रदर्शन हुआ। इस कार में 6 लोग सवार हो सकते हैं।

कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र गौरव सिंह ने इस परियोजना पर करीब 3 साल लगाए हैं और गौरव के लिए इस वाहन की सवारी का अनुभव उनके लिए कुछ ऐसा है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह जुनून है। अमेरिका नहीं बल्कि भारत में इस तरह के उत्पाद के साथ आना यह भी दिखाता है कि अपनी लगन और मेहनत से हम क्या कुछ नहीं हासिल कर सकते हैं। वर्ष 2004 में अनुज कपूरिया ने इस कंपनी की स्थापना की थी।

कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर अनुज गुपचुप तरीके से बीते एक दशक से चालकरहित वाहन प्रौद्योगिकी की ईजाद में जुटे थे। इस तरह के डोमेन में गूगल और टेसला जैसी कंपनियां शीर्ष पर हैं। (भाषा)
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