यूपी के किसानों का दिल्ली कूच, नेशनल हाईवे पर कब्जा

हिमा अग्रवाल
शनिवार, 28 नवंबर 2020 (16:17 IST)
मेरठ। दिल्ली बड़ी खूबसूरत है, हम भी देखेंगे। जंतरमंतर, विधानसभा, लालकिला और पार्लियामेंट देखेंगे। अपने चिरपरिचित अंदाज में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आगामी रणनीति स्पष्ट कर दी है।
 
कृषि अध्यादेश को लेकर सम्पूर्ण भारत के किसानों में गुस्सा है। किसान भारत सरकार के कृषि बिल को काला कानून मानते हुए विरोध स्वरूप दिल्ली कूच कर रहे थे, जहां हरियाणा सरकार ने उनके आंदोलन को कुचलने के लिए आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार कराई। जिसके बाद किसान देश का किसान और उग्र हो गया।
 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की मसीहा बाबा महेंद्रसिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत ने इस आंदोलन की कमान अपने हाथों में लेते हुए कहा कि दिल्ली चलो भाई दिल्ली चलो। ट्रैक्टर, ट्रालियों और गाड़ियों में भर कर सैकड़ों की संख्या में किसान दिल्ली की तरफ बढ़ गए हैं।
 
टिकैत का कहना है कि उनकी जंग भारत सरकार से है। सरकार खुद को किसान हितैषी कहती है, लेकिन फसल का न्यूतम समर्थन मूल्य पूरे देश में एक होना चाहिए। एमएसपी से कम पर खरीद होने पर किसानों को नुकसान होगा और व्यापारियों को लाभ। सरकार किसान विरोधी है, इसमें राजनीति का प्रश्न ही नही है, विपक्ष और नेता भी किसानों के साथ है।
 
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा भारत सरकार से ये हमारा वैचारिक मतभेद है, जो परिवर्तन लायेगा। सरकार एजेंडा तय करती है, किसानों के आंदोलन को सरकार तोड़ना चाहती है। प्रधानमंत्री किसानों से बात करने को तैयार नहीं है। किसानों को आतंकवादी बताया जा रहा है, जिन लोगों ने आतंकवादी कहा है, उनका लिस्ट में नाम लिख लिया है, समय आने पर जबाव देंगे।
 
हरियाणा सरकार ने किसानों पर बर्बरता की। क्योंकि किसान वहां से गुजर रहे थे, अपने हक के लिए दिल्ली जा रहे थे। केन्द्र सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है, नेशनल हाईवे सबका है। इस हाईवे पर पाकिस्तान के लिए समझौता एक्सप्रेस गुजर सकती है, लेकिन देश का किसान नहीं। वहीं किसानों का कहना है कि हक के लिए मरने और मारने को हम तैयार हैं। 
 
पूरे देश का किसान केन्द्रीय कृषि बिल के विरोध में है, उग्र है, अपने तरीके से विरोध कर रहा है। अब इस मुद्दे पर राजनीति भी चरम पर पहुंच गई है।
 
कांग्रेस और आम पार्टी भी खुलकर किसानों का समर्थन कर रही है। अब देखने वाली बात यह होगी की दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन क्या रुख लाता है। देश का अन्नदाता खुश हो पाएगा, ये आने वाला समय ही तय कर पाएगा। 

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