चीन बोला- तनाव घटाने के लिए उठा रहे हैं प्रभावी कदम

Webdunia
सोमवार, 6 जुलाई 2020 (16:59 IST)
बीजिंग/नई दिल्ली। चीन ने सोमवार को कहा कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक भारत से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में पीछे हटने और तनाव कम करने की दिशा में ‘प्रगति’ के लिए ‘प्रभावी कदम’ उठा रहे हैं। 
 
इस बीच, भारत के एनएसए अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री ने भी फोन पर बातचीत की। दोनों के बीच इस बात पर सहमति बनी की बातचीत का दौर भी जारी रहेगा। दोनों के बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि मतभेदों को विवाद के रूप में तब्दली न होने दिया जाए। 
 
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान की टिप्पणी तब आई जब नई दिल्ली में सरकारी सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र से सैनिकों को हटाने के पहले संकेत के तौर पर चीनी सेना गलवान घाटी में कुछ क्षेत्रों से तंबू हटाती और पीछे जाती हुई दिखी।
 
गलवान घाटी ही वह जगह है जहां 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। झड़प में चीनी सेना को भी नुकसान की खबरें हैं। नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी गश्त बिंदु ‘प्वाइंट-14’ से अपने तंबू और ढांचे हटाती दिखी। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों के वाहन गलवान के सामान्य क्षेत्र और गोग्रा हॉट स्प्रिंग्स में वापस जाते दिखे।
 
गलवान घाटी में विवाद के बिन्दु से चीन के पीछे हटने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर झाओ ने कहा कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक पीछे हटने और तनाव कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं और इस दिशा में प्रगति हुई है।
 
उन्होंने कहा कि चीनी और भारतीय पक्ष ने 30 जून को कमांडर स्तर की वार्ता की और दोनों पक्ष बातचीत के पहले दो दौर में बनी सहमति को क्रियान्वित करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
 
झाओ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष चीन की तरफ हाथ बढ़ाएगा और ठोस कार्रवाई के माध्यम से सहमित को क्रियान्वित करेगा तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने के लिए सैन्य तथा कूटनीतिक तंत्रों के माध्यम से करीबी संपर्क जारी रखेगा।
 
नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच समझौते के अनुरूप चीनी सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी, जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘प्राथमिकता’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे। (भाषा)

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