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पत्नी अंजलि को लेने लंदन जा रहे थे विजय रूपाणी, म्यांमार में जन्मे और गुजरात में CM बने

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 12 जून 2025 (19:39 IST)
Ahmedabad plane crash: गुजरात के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय रूपाणी (Vijay Rupani Passes away) का विमान हादसे में निधन वो गया। वे अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया के विमान में सवार थे। रूपाणी की पत्नी अंजलि बेन पिछले छह महीने से लंदन में हैं और वे उन्हें वापस लाने के लिए लंदन जा रहे थे। म्यांमार में जन्मे रूपाणी ने 7 अगस्त 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस हादसे में सिर्फ रमेश विश्वास कुमार नामक व्यकित की चमत्कारिक रूप से जान बच गई। 
 
विजय रूपाणी गुजरात की राजनीति में शांति, अनुभव और संगठन क्षमता का पर्याय रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य के विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक सफर एक जनसेवक के रूप में शुरू हुआ और धीरे-धीरे एक वक्त वह भी आया, जब वे राज्य के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। ALSO READ: अहमदाबाद में बड़ा विमान हादसा, सभी 242 यात्रियों की मौत, पूर्व CM विजय रूपाणी का भी निधन
 
म्यांमार में जन्म : विजय जन्म 2 अगस्त 1956 को रंगून (वर्तमान यांगून) म्यांमार में हुआ था। बाद में उनका परिवार भारत आकर राजकोट में बस गया। उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य रहे। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा, जिससे उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा और मजबूत हुई। वे राजकोट नगर निगम में पार्षद चुने गए और मेयर के पद तक पहुंचे। 
 
2014 में पहली बार विधायक बने : रूपाणी को 2002 में गुजरात पर्यटन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा सांसद रहे। 2014 में राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर वे पहली बार गुजरात विधानसभा के सदस्य बने। नवंबर 2014 में उन्हें आनंदीबेन पटेल सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उस समय उन्हें परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए। ALSO READ: भारत की 8 बड़ी विमान दुर्घटनाएं, 1996 में हुई थी 343 लोगों की मौत
 
2016 में रूपाणी के राजनीतिक जीवन में उस समय महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। यह उनके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। उनके कार्यकाल के दौरान, गुजरात ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की। उनके नेतृत्व में, राज्य ने 'वाइब्रेंट गुजरात' जैसे वैश्विक निवेशक सम्मेलनों के माध्यम से निवेश को आकर्षित करना जारी रखा।
 
उनके कार्यकाल में चुनौतियां भी कम नहीं थीं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन, दलित उत्पीड़न के मुद्दे और कोरोना महामारी का प्रबंधन जैसी चुनौतियों के बावजूद रूपाणी ने धैर्य और संयम के साथ काम किया और सरकार की स्थिरता बनाए रखी। सितंबर 2021 में उन्होंने अप्रत्याशित रूप से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 

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