नई दिल्ली। गंगा में जल स्तर बढ़ने के साथ ही बिहार में बाढ़ की स्थिति सोमवार को भी गंभीर बनी रही, जबकि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश ने सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया और राजस्थान और मध्य प्रदेश में जलाशयों में डूबने से कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई।
केंद्रीय जल आयोग की दैनिक बाढ़ की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में उसके 15 केंद्र, असम में छह, उत्तर प्रदेश में चार, तेलंगाना में दो और आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में स्थित एक-एक केंद्रों ने बाढ़ की गंभीर स्थिति दर्ज की है।
इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान में कहा गया है कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र सहित उत्तर-पश्चिम भारत में 20 अगस्त तक और अधिक भारी बारिश होने की आशंका है, लेकिन उसके बाद यह कम हो सकती है।
मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी राजस्थान में मंगलवार और बुधवार को और उत्तराखंड में मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। केन्द्रीय जल आयोग ने विभिन्न राज्यों को बाढ़ तथा उत्तर के कुछ पर्वतीय जिलों में अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की आशंका को लेकर परामर्श जारी किया है।
इस परामर्श में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश की विभिन्न नदियों में जल स्तर बढ़ने की आशंका जताई गई है। इसमें कहा गया है कि इन राज्यों के कुछ पर्वतीय जिलों में बादल फटने की घटना हो सकती है। इसमें राज्यों से संभावित भूस्खलन की स्थिति के लिए आवश्यक एहतियाती कदम उठाने को कहा गया है।
आईएमडी ने कहा, अगले 4-5 दिनों के दौरान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की आशंका है।भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक बांध से पानी छोड़े जाने के बीच 12 घंटे से अधिक समय तक पेड़ पर फंसे रहने वाले 43 वर्षीय एक व्यक्ति को बचाने के लिए अपने एमआई-17 हेलीकॉप्टर को लगाया।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को बारिश हुई, जिससे उमसभरे मौसम में लोगों को राहत मिली, जबकि मौसम विभाग ने महानगर में अगले कुछ दिनों तक बारिश होते रहने की संभावना जताई है। मौसम विभाग के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि मानसून एक बार फिर उत्तर की ओर आ गया है और अगले तीन दिन राष्ट्रीय राजधानी के करीब रहेगा।
उन्होंने कहा, गुरुवार तक मध्यम बारिश होने की उम्मीद है। इस बीच एक-दो बार भारी बारिश होने की भी संभावना है।बिहार में बाढ़ ने 16 जिलों में 81.56 लाख लोगों को प्रभावित किया है। राज्य में अब तक बाढ़ से संबंधित घटनाओं में 25 लोगों की मौत हुई है।
राज्य के जल संसाधन विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, बक्सर, मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव और पटना के दीघा घाट पर गंगा का जलस्तर सोमवार को और बढ़ गया। पटना के गांधी घाट पर नदी का जल स्तर 48.62 मीटर पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से 2 सेंटीमीटर ऊपर है। बुलेटिन में कहा गया कि बागमती, बरही गंडक, पुनपुन, खिरोई और घाघरा सहित कई अन्य नदियां राज्य के विभिन्न स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
राज्य में बाढ़ के कारण 81,56,127 लोग प्रभावित हैं। कोविड-19 के खतरे के कारण अधिकारियों के लिए बाढ़ राहत कार्यों का प्रबंधन एक कठिन कार्य बन गया है। उत्तर प्रदेश में 15 जिलों के 788 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।प्रदेश के राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि अंबेडकर नगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, गोण्डा, गोरखपुर, खीरी, कुशीनगर, मऊ, संत कबीरनगर और सीतापुर जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।
उन्होंने बताया कि शारदा और सरयू-घाघरा नदियां कई जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गई हैं। पलियां कला (लखीमपुर खीरी) में शारदा तथा एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या और तुर्तीपार (बलिया) में सरयू-घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ राहत शिविरों में सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का पालन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को बुखार, सर्दी-जुकाम और सिर दर्द है और जरूरत है तो उसकी जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री ने भूमि क्षरण या किसी तरह की क्षति का पता लगाने के लिए तटबंधों पर नियमित गश्त का निर्देश दिया।
बाढ़ प्रभावित जगहों पर राहत एवं बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें तैनात की गई हैं। कुल 1046 नौकाओं की तैनाती की गई है और 741 बाढ़ चौकियां भी बनाई गई हैं। इस बीच, ओडिशा में भी कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति देखी गई। अगले कुछ दिनों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव वाले क्षेत्र बनने के कारण और अधिक बारिश होने की आशंका है। इस महीने अब तक राज्य के कई हिस्सों में भारी वर्षा हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा में 13 अगस्त से हो रही भारी बारिश ने कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है, सड़क संपर्क टूट गया है, कच्चे मकानों और फसलों को नुकसान पहुंचा है और दो लोगों की मौत हो गई।पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण तेलंगाना के विभिन्न हिस्से में जनजीवन प्रभावित हुआ है और निचले क्षेत्रों में जलजमाव हो गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सोमवार दोपहर एक बजे भद्राचलम में गोदावरी नदी का स्तर 60.7 फुट पर पहुंच गया। इस तरह जल स्तर खतरे के तीसरे निशान को भी पार कर गया है। राज्य में विभिन्न जगहों पर कई छोटी नदियां और जलाशय में जल स्तर बढ़ने से निचले क्षेत्रों में जलजमाव हो गया और परिवहन संपर्क पर भी असर पड़ा है।
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भारी बारिश के कारण पैदा स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने जिला-वार विवरण भी मांगे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एतेला राजेंद्र ने जलमग्न इलाकों का दौरा किया। उन्होंने कहा तेलंगाना के उत्तरी क्षेत्र में करीमनगर, वारंगल और खम्मम के कुछ भाग में भारी बारिश के कारण नदियां और जलाशय उफान पर हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावित लोगों को भोजन आदि की तुरंत सहायता पहुंचाएगी और बाढ़ का पानी घटने के बाद अन्य मदद दी जाएगी। राज्य की महिला और बाल कल्याण मंत्री सत्यवती राठौड़ ने जिलाधिकारी एस. कृष्ण आदित्य के साथ मुलुगु जिले में स्थिति की समीक्षा की और निचले क्षेत्र में रहने वाले लोगों को स्कूल आदि सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने राज्य में प्रशासिक तंत्र को अलर्ट पर रखा है और जरूरत वाले स्थानों पर राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
मौसम विभाग ने कहा है कि सोमवार को राज्य के कुछ स्थानों पर बारिश होने का अनुमान है। कुछ स्थानों पर गरज के साथ भारी बारिश की भी चेतावनी दी गई है। नगरकुरनूल जिले में वर्षा जनित घटना में मकान ढहने से शनिवार की रात एक बुजुर्ग और उनकी 50 वर्षीय बेटी की मौत हो गई। आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी के उफान पर होने के कारण पूर्वी और पश्चिम गोदावरी जिलों में कई गांव जलमग्न हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने बताया कि दोवलेश्वरम में दूसरे स्तर की चेतावनी दी गई है। बाढ़ के कारण पश्चिम गोदावरी जिले में 55 से ज्यादा गांव और पूर्वी गोदावरी जिले में करीब 100 गांव जलमग्न हैं।पूर्वी गोदावरी में बाढ़ प्रभावित गांवों से करीब 6,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया और उन्हें राहत शिविरों में पहुंचाया गया। पश्चिम गोदावरी में भी करीब 2,000 लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया। गोदावरी की सहायक गौतमी, वशिष्ठ और व्यनतेया नदियों में भी जल स्तर बढ़ गया है। एहतियात के तौर पर प्रभावित गांवों की बिजली आपूर्ति रोक दी गई है।
एसडीएमए ने बताया कि राहत और बचाव अभियान के लिए नौका और अन्य उपकरणों के साथ एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को बाढ़ प्रभावित गांव भेजा गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने संबंधित अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की और युद्ध स्तर पर राहत अभियान चलाने को कहा।
महाराष्ट्र में, सांगली में कृष्णा, वार्ना और कोयना नदियों का जल स्तर लगातार बारिश के कारण बढ़ गया है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इन नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है। मध्य प्रदेश में, रायसेन जिले के बांसादेही गांव में पानी भरे गड्ढे में सोमवार को दो लड़के डूब गए। राजस्थान में, अलग-अलग घटनाओं में तीन भाई-बहनों सहित पांच युवक जलाशयों में डूब गए। राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में प्रदेश में मानसून को देखते हुए अत्यधिक वर्षा एवं बाढ़ की किसी भी स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी रखने के निर्देश दिए। असम के तीन जिले- धेमाजी, लखीमपुर और बक्सा अभी भी बाढ़ की चपेट में हैं और इन जिलों के 11,900 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने बुलेटिन में कहा कि लखीमपुर बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 9,500 लोग जल प्रलय से प्रभावित हैं, जबकि धेमाजी और बक्सा में प्रभावितों की संख्या क्रमशः 2,100 और 300 है।
एएसडीएमए ने बताया कि इस वर्ष राज्यभर में बाढ़ और भूस्खलन में अपनी जान गंवाने वालों की कुल संख्या 138 है। बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में 112 लोगों की मौत हो गई, जबकि भूस्खलन में 26 लोगों की मौत हो गई।एएसडीएमए ने बताया कि वर्तमान में तीन बाढ़ प्रभावित जिलों में 28 गांव और 1,535 हेक्टेयर फसल क्षेत्र जलमग्न हैं। प्रभावितों की सहायता के लिए अधिकारी तीन राहत शिविर और वितरण केंद्र संचालित कर रहे हैं।(भाषा)