Official Apology Trend : सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अजीब-सी माफ़ी की लहर दौड़ रही है। लेकिन ये वो माफियां नहीं हैं जो किसी गलती के लिए मांगी जा रही हों बल्कि ये हैं बहुत अच्छे होने की माफियां हैं! जी हां, ब्रांड्स अब अपनी कमाल की क्वालिटी या “लाजवाब एक्सपीरियंस के लिए अपने कस्टमर्स से माफी मांग रहे हैं और नेटिज़न्स को ये नया ट्रेंड खूब पसंद आ रहा है।
क्या है #OfficialApologyTrend?
दरअसल, इस ट्रेंड में कंपनियां सोशल मीडिया पर एकदम सीरियस कॉरपोरेट टोन में “Official Apology Letters” पोस्ट कर रही हैं। देखने में ये ऐसे लगते हैं जैसे किसी बड़ी गलती के बाद ब्रांड ने पब्लिक माफ़ी जारी की हो लेकिन ट्विस्ट ये है कि ये “माफियां” हैं अपनी ही तारीफ में लिपटी हुई!
उदाहरण के लिए
Manforce ने अपनी क्लासिक ह्यूमर में कहा, “We didnt mean to make No Nut November this hard.”
Skoda ने कहा, “हमें खेद है कि हमारी कारें इतनी बढ़िया हैं कि लोग ऑफिस के बजाय अब लंबी रोड ट्रिप पर निकल जाते हैं।”
Volkswagen ने “regret” जताया कि उनके वाहन इतने अच्छे हैं कि ग्राहक उनसे अलग नहीं हो पाते।
Keventers ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “हमारे मिल्कशेक इतने स्वादिष्ट हैं कि लोग बार-बार लौटकर आ रहे हैं।”
Reliance Digital ने लिखा, “ग्राहक हमारी कीमतें देखकर कहीं और चेक करते हैं लेकिन फिर भी लौटकर हमारे पास ही आते हैं।”
Adani Ambuja Cement ने कहा, “हमें अफ़सोस है कि हमारे सीमेंट से बने दीवारों में अब कील ठोकना मुश्किल हो गया है।”
माफ़ी नहीं, मार्केटिंग मास्टरप्लान
इस ट्रेंड की असली खूबसूरती इसकी क्रिएटिविटी और कनेक्शन में है। हर ब्रांड अपने टोन, प्रोडक्ट और पर्सनैलिटी के हिसाब से “अपनी गलती” बता रहा है जो दरअसल उसकी USP है, ये माफ़ीनामे एक साथ ह्यूमर, सेल्फ-अवेयरनेस और रिलेटेबिलिटी का ऐसा कॉम्बो हैं जो सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए किसी का भी ध्यान खींच लेते हैं।
क्यों है ये ट्रेंड इतना पॉपुलर?
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ये ब्रांड्स को ह्यूमन टच देता है जैसे कोई दोस्त मजाक में माफ़ी मांग रहा हो।
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ये कॉन्टेंट शेयरिंग फ्रेंडली है लोग इन क्रिएटिव पोस्ट्स को रीशेयर करते हैं।
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और सबसे जरुरी ये कॉरपोरेट सीरियसनेस को तोड़कर ऑडियंस से भावनात्मक जुड़ाव बनाता है।
लेकिन सबको पसंद नहीं आया...
जहां एक ओर यूज़र्स इस ट्रेंड पर हंस-हंसकर लोटपोट हो रहे हैं, वहीं कुछ मार्केटिंग प्रोफेशनल्स का कहना है कि “Apologies should mean something.” उनका तर्क है कि “माफी” एक ब्रांड की जिम्मेदारी दिखाने का प्रतीक होती है, इसे मजाक में बदल देना असली अकाउंटेबिलिटी की गंभीरता को कम कर देता है।