कैसा होता है 'मांसाहारी दूध' और क्यों है भारत और अमेरिका के बीच विवाद का कारण

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 16 जुलाई 2025 (12:56 IST)
What is non vegetarian milk: अमेरिका और भारत बीच कृषि उत्पादों के साथ डेयरी प्रोडक्ट को लेकर डील (India America Trade Deal) अटकी हुई है। इसी वजह से दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता भी टल रहा है। अमेरिकी सरकार ने इसके लिए एक अगस्त की डेडलाइन तय की है। भारत कृषि और डेयरी प्रोडक्ट की डील अमेरिका के साथ करने के पक्ष में नहीं है। दरअसल, इससे भारतीय किसानों को बहुत नुकसान हो सकता है। डेयरी प्रोडक्ट को लेकर भारत की एक और बड़ी चिंता है, वह है अमेरिका का 'मांसाहारी दूध'। 
 
दोनों ही देश एक व्यापक व्यापार समझौते पर जोर दे रहे हैं, लेकिन डेयरी उत्पाद और कृषि क्षेत्र इस समझौते में बड़ी बाधा बने हुए हैं। भारत अपने सांस्कृतिक, धार्मिक और आहार संबंधी मान्यताओं के साथ-साथ अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए अमेरिकी डेयरी आयात पर सख्त शर्तें लगाने पर अड़ा हुआ है। दूसरी ओर, अमेरिका भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए बाजार खोलने का आग्रह कर रहा है। अमेरिका ने इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भी उठाया है।
 
कैसा होता है मांसाहारी दूध : दरअसल, मांसाहारी दूध को अमेरिका और भारत के बी‍च विवाद है। इसी वजह से डील भी अटकी हुई है। लेकिन, क्या वाकई दूध 'मांसाहारी दूध' होता है? दरअसल, दूध मांसाहारी नहीं होता, लेकिन अमेरिका गाय मांसाहारी होती हैं। अमेरिका में गायों को पशु आधारित चारा खिलाया जाता है। इसमें मांस, रक्त और पशु अवशेष होते हैं। दूसरी ओर, भारत में बड़ी आबादी शाकाहारी है और गाय को भी यहां पवित्र माना जाता है। ... और जो गायें मांसाहारी चारा खाती हैं, उनसे उत्पन्न दूध को भी मांसाहारी माना जाता है। 
 
भारत को कितना नुकसान : भारत की मांग है कि अमेरिका से आयातित दूध उत्पादों के साथ एक सख्त प्रमाण पत्र होना चाहिए, जो यह सुनिश्चित करे कि उन गायों को मांस या रक्त जैसे पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए गए हैं। दूसरी ओर, भारत का डेयरी उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है और इसमें बड़ी संख्या में छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक विश्लेषण के अनुसार, यदि भारत अपने डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी आयात के लिए खोलता है तो उसे सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। यदि अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट की भारत में एंट्री होती है तो स्थानीय किसानों की आजीविका पर भी गंभीर संकट आ सकता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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