क्‍या है मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद का विवाद?

Webdunia
रविवार, 8 मई 2022 (16:44 IST)
आरोप है कि मथुरा की ईदगाह मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले में जिस आधार पर अपना फैसला दिया है उसी तर्ज पर यहां पर भी रिपोर्ट तैयार करवाई जाए और अगर रिपोर्ट में यह साबित हो जाता है कि मंदिरों को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया है तो उसको वहां से हटाया जाए।

अयोध्या की बाबरी मस्जिद और राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से काशी के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थान को लेकर भी मांग उठने लगी है कि इस परिसर के पास जो मस्जिद बनाई गई है उनका भी सर्वे करवाया जाए।

बता दें कि मथुरा का श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थान जहां पर हर साल करोड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि श्री कृष्ण का जन्म इसी स्थान पर हुआ था, यहीं पर मथुरा के राजा कंस का वह कारागार था जहां पर देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया था। लेकिन फिलहाल अब इस जन्म स्थान को लेकर उठा विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है।

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थान परिसर में जो मंदिर बना हुआ है उसी से सटी खड़ी है यह ईदगाह मस्जिद। अदालत में ये कहा गया है कि जिस जगह पर यह ईदगाह मस्जिद बनाई गई है वहीं पर कंस का वो कारागार था जहां पर श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1669-70 के दौरान श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थल पर बने मंदिर को तोड़ दिया और वहां पर इस ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवा दिया था।

फिलहाल ये मामला एक बार फिर से कोर्ट पहुंच चुका है। हिंदू पक्षकारों ने मांग की है कि इस मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए एक टीम का गठन किया जाए जो मुआयना करके बताएं क्या इस मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं जो ये बताते हैं कि यहां पर इस मस्जिद से पहले हिंदुओं का मंदिर हुआ करता था।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक अदालत में दायर याचिका में ये भी सवाल उठाया गया है कि जब यह जमीन श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की थी तो आखिर श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान नाम की संस्था ने 1968 में ईदगाह कमेटी के साथ मस्जिद को न हटाने का फैसला किस आधार पर कर लिया।

दरअसल श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के नाम से एक सोसाइटी 1 मई 1958 में बनाई गई थी। इसका नाम 1977 में बदलकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान कर दिया गया था। 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ एवं शाही मस्जिद ईदगाह के प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता किया गया कि 13.37 एकड़ भूमि पर श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और मस्जिद दोनों बने रहेंगे। फिर 17 अक्टूबर 1968 को यह समझौता पेश किया गया और 22 नवंबर 1968 को सब रजिस्ट्रार मथुरा के यहां इसे रजिस्टर किया गया था।
ये विवाद कुल मिलाकर 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का है, जिसमें से 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 भूमि शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।

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