बिहार की राजनीति में कैसा है चिराग पासवान का भविष्य

वृजेन्द्रसिंह झाला
Union Minister Chirag Paswan Politics: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केन्द्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने यह कहकर सभी को चौंकाया है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 'हनुमान' कहने वाले चिराग के इस कदम से किसको नफा या नुकसान होगा, इस पर भी चर्चा चल पड़ी है। हालांकि इसे चिराग की 'प्रेशर पॉलिटिक्स' माना जा रहा है, ताकि वे एनडीए में सीटों के बंटवारे के समय ठीक से सौदेबाजी कर सकें। उन्होंने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा दिया है साथ ही कहा है कि वे बिहार के स्वाभिमान के लिए राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। 
 
लोकसभा चुनाव 2024 में सभी पांच सीटें जीतने वाले चिराग पासवान का बिहार विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड खराब ही रहा है। पिछले यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी मात्र एक सीट (मटिहानी) पर चुनाव जीत पाई थी। लेकिन, यह सीट भी उनके हाथ से उस समय फिसल गई, जब विधायक राज कुमार सिंह जदयू में शामिल हो गए। राज कुमार ने इस चुनाव में जदयू उम्मीदवार को ही पटखनी दी थी। 2020 में चिराग ने 137 सीटों पर अपने उम्मीदवारों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके साथ ही चिराग की उन सीटों पर भी नजर, जहां उनकी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। इन सीटों में प्रमुख रूप से ब्रह्मपुर, दिनारा, हरनौत, जगदीशपुर, कदवा, कस्बा, ओबरा, रघुनाथपुर और रुपौली हैं। 
 
क्या है चिराग का माइनस पॉइंट : चिराग के लिए एक माइनस पॉइंट यह भी है कि उनकी पटरी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ नहीं बैठती। सीटों के बंटवारे में नीतीश कुमार की भूमिका अहम रहने वाली है। खबर यह है कि एनडीए भाजपा और जदयू के अलावा अन्य सहयोगियों के लिए 40 सीटें छोड़ी जा सकती हैं। ऐसे में चिराग के खाते में कितनी सीटें आती है, यह वक्त ही बताएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि लोजपा (आर) राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है तो इसका एनडीए को ही नुकसान होगा। चर्चा तो यह भी है कि यदि उम्मीद के अनुरूप सीटें आईं तो बिहार चुनाव के बाद भाजपा नीतीश कुमार को हाशिए पर डाल सकती है। हालांकि फिलहाल राज्य में भाजपा नीतीश कुमार के पीछे ही खड़ी दिखाई दे रही है, लेकिन कोई आश्चर्य नहीं कि यहां भी 'महाराष्ट्र एपिसोड' को दोहरा दिया जाए। इन हालात में चिराग पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।   
 
कैसा है चिराग का राजनीतिक करियर : यदि चिराग के राजनीतिक करियर पर नजर डाली जाए तो वे भारतीय राजनीति के एक युवा और प्रभावशाली चेहरे हैं, जिन्होंने अपने पिता और बिहार के दिग्गज नेता रामविलास पासवान की विरासत को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। लोजपा-आर के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने न केवल अपनी पार्टी को एकजुट रखा है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी अपनी महत्वपूर्ण जगह बनाई है। वर्तमान में चिराग हाजीपुर सीट से सांसद है, जो कि उनके पिता रामविलास पासवान की परंपरागत सीट है। पासवान इस सीट से 8 बार सांसद रहे थे। 
 
चिराग पासवान ने 2014 में जमुई लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने लगातार दूसरी बार 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से जीत हासिल की थी। अपने पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद, उन्होंने लोजपा की कमान संभाली। हालांकि, पार्टी में उन्हें अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से मतभेद के बाद विभाजन का सामना भी करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन किया। चिराग ने फिल्मों में भी हाथ आजमाए, लेकिन सफलता नहीं मिली तो वे पूरी तरह राजनीति में उतर गए। 
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम यह भी तय करेगा कि चिराग पासवान राज्य की राजनीति में कहां तक जाएंगे। फिलहाल तो उनकी छटपटाहट यही बता रही है कि बिहार की राजनीति में खुद को स्थापित कर, एक नए विकल्प के रूप में पेश करना चाहते हैं। 

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