नई दिल्ली। विश्व रक्तदाता दिवस की पूर्व संध्या पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को अपने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र और दुनियाभर के देशों में पात्र लोगों से नियमित, स्वैच्छिक, बिना किसी शुल्क के रक्तदान करके जीवन बचाने, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के प्रयास में शामिल होने का आग्रह किया।
डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि दुनियाभर में अनुमानित तौर पर 11.85 करोड़ रक्तदान किए जाते हैं जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत उच्च आय वाले देशों से एकत्र किए जाते हैं, जो दुनिया की आबादी का सिर्फ 16 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि कम आय वाले देशों में ज्यादातर रक्त 5 साल से कम उम्र के बच्चों को और गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए दिया जाता है। बिना कोई शुल्क लिए स्वैच्छिक दाताओं द्वारा नियमित रक्तदान मातृ, नवजात और बाल मृत्युदर से निपटने में एक महत्वपूर्ण उपकरण बनता है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि इस क्षेत्र में स्वैच्छिक दाताओं से अनुमानित तौर पर 20 लाख यूनिट रक्त की तत्काल आवश्यकता है। इससे सभी उम्र के रोगियों को लंबे समय तक और जटिल चिकित्सा प्रक्रियाओं में मदद करने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान क्षेत्र के देशों ने राष्ट्रीय रक्त नीतियों को लागू करना जारी रखा है जिसमें आवश्यक रक्तदान, दाता देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने, रक्त के क्लिनिकल उपयोग को बढ़ाने और रक्त चढ़ाने की संपूर्ण श्रृंखला पर नजर रखना शामिल है।
डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि इस क्षेत्र में दान किए गए सभी रक्त की एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और सिफलिस के लिए जांच की जाती है। डब्ल्यूएचओ के सभी क्षेत्रों के मुकाबले 2008 से 2018 के बीच इस क्षेत्र में स्वैच्छिक रक्तदान में आनुपातिक रूप से वृद्धि हुई। महामारी से निपटे जाने के बीच डब्ल्यूएचओ ने गुणवत्तापूर्ण रक्त तक सभी की पहुंच के मकसद से सदस्य देशों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण की श्रृंखला भी आयोजित की।