नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की 5 न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सोमवार से व्हॉट्स एप की निजता नीति का परीक्षण शुरू करेगी जिसे इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह कथित तौर पर मौलिक अधिकारों का हनन करती है।
महत्वपूर्ण मामले को ग्रीष्मावकाश के दौरान दूसरी संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की एक अन्य संविधान पीठ तीन तलाक के मामले पर सुनवाई कर रही है।
व्हॉट्सएप मामले पर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौदर की पीठ सुनवाई करेगी।
केंद्र ने 27 अप्रैल को पीठ से कहा था कि डाटा की रक्षा के लिए एक नियामक व्यवस्था बनाने पर काम चल रहा है, क्योंकि व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता की पसंद की सुरक्षा किए जाने की आवश्यकता है। सरकार ने यह दलील तब रखी थी, जब संविधान पीठ ने उससे इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने को कहा था।
याचिकाकर्ता कारमन्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष उन सवालों को रखा था जिन पर इस मामले में सुनवाई करने की आवश्यकता है। व्हॉट्सएप की नई निजता नीति का उल्लेख करते हुए साल्वे ने कहा था कि किसी उपयोगकर्ता द्वारा व्हॉट्सएप पर साझा किए गए संदेशों, वीडियो और फोटो में कोई तीसरा व्यक्ति ताक-झांक कर सकता है।
व्हॉट्सएप की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि वे उपयोगकर्ताओं की निजता की रक्षा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास एंड-टू-एंड (एक गंतव्य से लक्षित गंतव्य तक) कूटबद्ध करने की प्रौद्योगिकी है जिसे कोई तीसरा व्यक्ति नहीं देख सकता। (भाषा)