क्या मोदी-बाइडेन की दोस्ती UN में भारत को दिलाएगी 'वीटो पॉवर'?

अमेरिका में मौजूद यूएन के पॉलिसी अधिकारी सिद्धार्थ राजहंस ने वेबदुनिया को बताया

वृजेन्द्रसिंह झाला
Narendra Modi US visit: हाल ही में चीन ने 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची (Global Terrorists List) में डालने पर रोड़ा अटका दिया। निश्चित ही इससे भारत को झटका लगा। दरअसल, चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसके वीटो पॉवर से साजिद बच गया।
 
भारत ने चीन के दोगलेपन को लेकर उस पर निशाना भी साधा और कहा कि आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है। वह अच्छा या बुरा नहीं हो सकता। चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है, वह पहले भी भारत विरोधी आतंकवादियों का बचाव कर चुका है। ऐसे में इस बात की जरूरत बहुत ही तीव्रता से महसूस की जा रही है कि भारत को यूएन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। हालांकि भारत के अलावा जापान, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील जैसे देश भी स्‍थायी सदस्‍य बनने की कतार में हैं। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका और यूएन मुख्यालय का दौरा इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। दरअसल, भारत और अमेरिका के 'रिश्तों की उड़ान' भारत को स्थायी सदस्यता के और करीब ले जा सकती है। अमेरिका की संयुक्त राष्ट्र में भूमिका 'की प्लेयर' की होती है। दूसरी ओर, अमेरिका और चीन के रिश्तों में भी सहजता नहीं है, थोड़ी खटास ही है। ऐसे में वह भी चाहेगा कि यूएन में भारत की ताकत बढ़े। 
मोदी के अमेरिकी दौरे को करीब से देख रहे संयुक्त राष्ट्र के पॉलिसी अधिकारी सिद्धार्थ राजहंस का मानना है कि अमेरिका के साथ भारत की नजदीकियों का फायदा उसे जरूर मिलेगा। यूएन सुरक्षा परिषद में अमेरिका और फ्रांस मुख्‍य प्लेयर्स हैं। ऐसे में अमेरिका के साथ निकटता घाटे का सौदा नहीं है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार हुई बातचीत के दौरान चीन के मुद्दे पर भारत की मदद का आश्वासन दिया है। बाइडेन ने जिनपिंग को तानाशाह तक बताया है। यह बताता है कि चीन और पाकिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। 
 
वर्तमान में रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका यूएन सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य हैं। ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं। सुरक्षा परिषद में 10 गैर स्थायी सदस्य देश भी शामिल हैं, जिन्हें महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पिछले कुछ सालों से स्थायी सदस्सयों की संख्या बढ़ाने की मांग लगातार हो रही है। 
 
राजहंस कहते हैं कि पीएम मोदी का अमेरिका दौरा हर मायने में अच्छा है। इस दौरे की अहमियत को इससे समझा जा सकता है कि एलन मस्क जैसे दिग्गज कैलिफोर्निया से उड़कर मोदी से मिलने आए। उन्होंने खुद को मोदी का फैन भी बताया। यह सब ताकतवर भारत की तस्वीर ही पेश करता है। यूएन मुख्यालय में 135 देशों के प्रतिनिधियों के साथ योग कार्यक्रम से भी दुनिया में भारत की छवि मजबूत हुई है। 
 
इसमें कोई संदेह नहीं यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हासिल करने में अमेरिका ईमानदारी से भारत का सहयोग करता है, तो जल्द ही भारत को स्थायी सदस्यता मिल सकता है। सदस्यता मिलने पर भारत चीन पर भी दबाव बना सकेगा। बस, उम्मीद कीजिए की भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिल जाए।   

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