- अब गुजरात में समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी।
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विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले संहिता लाने की घोषणा कर सकती है सरकार।
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इस संहिता से सभी धार्मिक समुदाय के लोगों पर तलाक, विवाह संबंधी कानून एक जैसे लागू होंगे।
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मुस्लिम और हिन्दू लॉ में तलाक और विवाह संबंधी कानून अलग-अलग हैं।
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उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रयास।
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Election 2022) के मद्देनजर समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा से पहले समान नागरिक संहिता लाने को लेकर राज्य सरकार द्वारा घोषणा की जा सकती है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल इसको लेकर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी की घोषणा भी कर सकते हैं।
दरअसल, समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण कानूनों में भी एकरूपता प्रदान करने का प्रावधान करती है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी एजेंडे में भी शामिल है। वर्तमान में मुस्लिम समुदाय पर मुस्लिम लॉ लागू होता है, जबकि हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं जैन समुदाय पर हिन्दू लॉ।
मुस्लिम और हिन्दू लॉ में तलाक और विवाह संबंधी कानून अलग-अलग हैं। संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार पूरे भारत के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने की बात कही गई है। वर्तमान में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने UCC को लागू किया है। उत्तराखंड में भी इसे लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए गठित समिति को 1600 सुझाव भी प्राप्त हो चुके हैं।
क्या है समान नागरिक संहिता : समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
संविधान के आर्टिकल 36 से 51 के माध्यम से राज्य को कई मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं। इनमें से आर्टिकल 44 राज्य को सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा।
क्या है हिन्दू पर्सनल लॉ : भारत में हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाया गया। देश में इसके विरोध के बाद इस बिल को 4 हिस्सों में बांट दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे हिन्दू मैरिज एक्ट, हिन्दू सक्सेशन एक्ट, हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट और हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट में बांट दिया था।
इन कानूनों के जरिए महिलाओं को सीधे तौर पर सशक्त बनाया। इनके तहत महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है। इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है, लेकिन कोई व्यक्ति एक शादी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ : देश के मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पसर्नल लॉ है। पहले लॉ के अंतर्गत शादीशुदा मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महज तीन बार तलाक कहकर तलाक दे सकता था। इसके दुरुपयोग के चलते सरकार ने इसके खिलाफ कानून बनाकर जुलाई 2019 में इसे खत्म कर दिया है। अब तीन तलाक से मिलते-जुलते तलाक-ए-हसन का मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है। इसमें भी 33 तलाक कहने के बाद विवाह विच्छेद हो जाता है, लेकिन इसमें 3 तलाक एक साथ न बोलकर एक निश्चित समयावधि में बोला जाता है।
शाहबानो केस से उठा मामला : 1985 में शाहबानो केस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला सुर्खियों में आया था। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के बाद शाहबानो के पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि पर्सनल लॉ में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद में बिल पास कराया था।
क्यों है कानून की आवश्यकता : इस कानून के समर्थकों का मानना है कि अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो।
महिलाओं की स्थिति में होगा सुधार : समान नागरिक संहिता लागू होने से भारतीय महिलाओं खासकर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में भी सुधार आएगा। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।
विरोध क्यों? : भारत में जब भी समान नागरिक संहिता की बात उठती है तो उसका इस आधार पर विरोध किया जाता है कि इसके माध्यम से आधार पर वर्ग विशेष को निशाना बनाने की कोशिश है।
इन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड : अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट आदि देशों में समान नागरिक कानून लागू हैं।