पिछले चार दिन में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के रूप में देश को एक नया सुपर हीरो मिला है। यह हवा में विमान उड़ाता है, दुश्मन के जहाज को मार गिराता है, शत्रु की धरती पर निडर होकर 60 घंटे बिताता है और फिर विजेता की तरह सधी और निर्भीक चाल से सीमा पार करके अपने देश की सुरक्षित जमीन पर कदम रखता है।
F-16 विमान गिराकर पाकिस्तान को गहरा जख्म देने वाला भारतीय वायुसेना का जांबाज लड़ाका अभिनंदन जब तक दुश्मन की गिरफ्त में रहा, देश के करोड़ों लोग हर पल उसकी सुरक्षित वापसी की दुआ करते रहे।
अभिनंदन के पाकिस्तान की सीमा में पहुंचने और वहां से वापस लौट आने की कड़ियों को जोड़ें तो हर गुजरते लम्हे के साथ उनका जज्बा और आत्मविश्वास बढ़ता दिखाई देता है। पाक अधिकृत कश्मीर के भिंभर जिले में बुधवार सुबह नियंत्रण रेखा से 7 किलोमीटर दूर हुर्रान गांव के लोगों ने एक विमान को गिरते और पायलट को पैराशूट से जमीन पर लैंड करते देखा।
कुछ ही देर में ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। खुद को दुश्मन से घिरा होने की भनक लगते ही अभिनंदन ने सबसे पहले अपने पास मौजूद सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कागजात को नष्ट करना शुरू किया। ग्रामीणों से बचकर भागते हुए वे नजदीक के एक छोटे से तालाब तक जा पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने उनके साथ मारपीट भी की। उन्होंने कुछ कागजात निगल लिए और कुछ को पानी में भिगोकर नष्ट कर दिया।
दुश्मन की सेना की हिरासत में रहते हुए भी उन्होंने देश की वायुसेना और अपने बारे में कोई भी संवेदनशील जानकारी देने से पूरी सख्ती से इंकार कर दिया और अपनी जान हथेली पर लिए चाय की चुस्कियां लेते नजर आए। देश वापसी के समय चमकदार ललाट, गंभीर और गहरी आंखों और घनी मूछों वाले रौबदार चेहरे पर गंभीरता लगातार बनी रही। दुश्मन की धरती से अपनी मातृभूमि की तरफ बढ़ते इस वीर के हर कदम पर 130 करोड़ भारतीयों ने सदका उतारा और उनके देशप्रेम को सलाम किया।
21 जून, 1983 को जन्मे अभिनंदन का भारतीय वायुसेना के साथ पीढ़ियों पुराना रिश्ता है। वह आज मिग-21 उड़ाते हैं और उनके पिता सिंहकुट्टी वर्धमान मिग-21 उड़ा चुके हैं।
पांच वर्ष पहले ही सेवानिवृत्त हुए अभिनंदन के पिता देश के उन चुनिंदा पायलट में से हैं, जिनके पास 4000 घंटे से ज्यादा तक 40 तरह के विमान उड़ाने का अनुभव हासिल हैं। वे कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना की मिराज स्क्वाड्रन के चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर थे। अभिनंदन के दादा भी भारतीय वायुसेना में रहे हैं। इस लिहाज से कहें तो देशभक्ति और देश के लिए कुछ करने का जुनून उनकी रगों में दौड़ता है।
देशसेवा और बहादुरी में अभिनंदन की मां डॉ. शोभा वर्धमान का भी कुछ कम योगदान नहीं है। अपने परिवार और बच्चों के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के साथ ही उन्होंने मानवता की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वे दुनियाभर में मुफ्त में चिकित्सा सेवाएं देने वाले स्वयंसेवकों में शामिल रही हैं। मद्रास मेडिकल कॉलेज से स्नातक डॉ. शोभा ने रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स ऑफ इंग्लैंड से स्नातकोतर की उपाधि ली। वे युद्धरत देशों में हजारों माताओं को प्रसव के बाद होने वाली दिक्कतों से उबारने में मदद करती रही हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर अपने देश और मानवता की सेवा को तत्पर एक मां के बेटे का जिगर ही ऐसा हो सकता है।
तमिलनाडु के तिरूवन्नामलाई जिले के रहने वाले अभिनंदन के दादा और माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी और भाई भी वायुसेना से जुड़े रहे हैं।
अभिनंदन ने स्कूल के दिनों की अपनी साथी तन्वी मरवाह से विवाह किया है। तन्वी भी वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर रही हैं। दोनों बहुत छुटपन से एक-दूसरे के साथी रहे हैं और स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों ने माइक्रोबायोलॉजी में आगे की पढ़ाई भी एक साथ ही की। दोनों के दो बच्चे हैं। (भाषा)