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world first vedic clock: दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का हुआ शुभारंभ जानिए विशेषताएं, कैसे है ग्रीनविच टाइम से अलग

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WD Feature Desk

, सोमवार, 1 सितम्बर 2025 (14:10 IST)
world first vedic clock: मध्य प्रदेश का उज्जैन सोमवार, 1 सितंबर 2025 को एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में, जिसे भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान का केंद्र माना जाता है, दुनिया की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी और इसके मोबाइल एप का लोकार्पण किया।इस घड़ी को सिर्फ एक समय बताने वाला यंत्र कहना गलत होगा, क्योंकि यह हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक का एक अद्भुत संगम है। आइये जानते हैं वैदिक घड़ी की विशेषताएं : 
 
वैदिक घड़ी की विशेषताएं: यह क्यों है दुनिया की बाकी घड़ियों से अलग?
सूर्य के अनुसार चलता है समय: यह वैदिक घड़ी सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर समय बताती है। भारतीय पारंपरिक काल गणना में, दिन का प्रारंभ सूर्योदय से होता है, न कि आधी रात को 12 बजे से। यह घड़ी इसी वैदिक सिद्धांत पर काम करती है।
बताती है मुहूर्त, पंचांग और ग्रह स्थिति: यह केवल समय ही नहीं बताती, बल्कि पंचांग (तिथी, वार, नक्षत्र, योग, करण), मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति की भी सटीक जानकारी देती है। यह उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है जो धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य करना चाहते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त का ज्ञान: यह घड़ी ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से 96 मिनट पहले) और अन्य महत्वपूर्ण समयों की भी जानकारी देती है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
डिजिटल और भौतिक रूप: इस घड़ी को न केवल एक भौतिक संरचना के रूप में स्थापित किया गया है, बल्कि इसका एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है। इसका मतलब है कि आप अपने फोन पर भी इस वैदिक घड़ी का समय देख सकते हैं।

किसने बनाई है दुनिया की पहली वैदिक घड़ी,
इस अद्वितीय घड़ी को तैयार करने का श्रेय आरोह श्रीवास्तव को जाता है, जिन्होंने तीन साल के गहन शोध के बाद इसे बनाया है। उनकी रिसर्च टीम में आईआईटी दिल्ली के विशाल सिंह और रोबोटिक्स इंजीनियर आरुणि श्रीवास्तव भी शामिल थे। इस टीम ने मिलकर यह साबित किया है कि हमारे प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर कितना कुछ अद्भुत किया जा सकता है।

क्यों है उज्जैन में?
उज्जैन को प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान का केंद्र माना जाता है। यहाँ से कर्क रेखा गुजरती है और इसे 'काल गणना' का केंद्र भी कहा जाता है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का उज्जैन में स्थापित होना इस शहर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ाता है।

उज्जैन की वैदिक घड़ी और ग्रीनविच मीन टाइम में अंतर
आइये समय गणना की पद्दति के आधार पर इन दोनों के बीच अंतर को विस्तार से समझते हैं :

उज्जैन की वैदिक घड़ी
आधार: यह घड़ी सूर्योदय और सूर्यास्त पर आधारित है।
दिन की शुरुआत: इसमें दिन की शुरुआत आधी रात (12 बजे) से नहीं, बल्कि सूर्योदय से होती है।
समय चक्र: यह एक दिन को 30 मुहूर्तों में विभाजित करती है, और प्रत्येक मुहूर्त लगभग 48 मिनट का होता है। यह 24 घंटे का समय बताती है, लेकिन इसका माप सूर्य की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है।
उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य केवल समय बताना नहीं है, बल्कि धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, पंचांग (तिथि, वार, नक्षत्र), और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देना भी है।
स्थान: यह उज्जैन के 'शून्य' देशांतर पर स्थित है, जिसे प्राचीन काल में भारत का प्रमुख खगोलीय केंद्र माना जाता था।

ग्रीनविच मीन टाइम (GMT)
यह एक वैश्विक मानक समय है, जो पूरे विश्व में इस्तेमाल होता है। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं:
आधार: GMT पृथ्वी के घूर्णन पर आधारित है।
दिन की शुरुआत: यह दिन की शुरुआत आधी रात को 12 बजे से करता है।
समय चक्र: यह एक दिन को 24 घंटों में विभाजित करता है, और प्रत्येक घंटा 60 मिनट का होता है।
उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा मानक समय बनाना था जिसे दुनिया भर के देश आसानी से इस्तेमाल कर सकें। यह एक स्थिर समय है जो बदलता नहीं।
स्थान: यह लंदन के पास ग्रीनविच में रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी के 'शून्य' देशांतर पर आधारित है।
 

 

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