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विश्‍व गैंडा दिवस : तेजी से विलुप्त हो रहे हैं गैंडे? क्या है आखिरी सफेद गैंडे की मौत की दर्दनाक कहानी?

हमें फॉलो करें विश्‍व गैंडा दिवस : तेजी से विलुप्त हो रहे हैं गैंडे? क्या है आखिरी सफेद गैंडे की मौत की दर्दनाक कहानी?
, गुरुवार, 22 सितम्बर 2022 (13:21 IST)
दुनिया भर में तेजी से विलुप्त हो रहे गैंडों को बचाने के लिए गैंडा प्रेमी और संरक्षणवादी हर साल 22 सितंबर को विश्व गैंडा दिवस मनाते हैं। दुनिया में गैंडे या राइनो की मात्र 5 प्रजातियां ही शेष हैं। प्राय: सींगों के लिए गैंडों का शिकार किया जाता है। दक्षिण अफ्रीका में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने सितंबर, 2010 में पहला गैंडा दिवस मनाया था। जिम्बाब्वे के लिसा जॉन कैंपबेल और ऋषजा कोटा के प्रयासों के माध्यम से यह अभियान दुनिया भर में फैल गया।
 
कहां से आया गैंडा शब्द : गैंडा ग्रीक शब्द जिसका अर्थ नाक-सींग वाला होता है। एशिया और अफ्रीका में गैंडों की पांच प्रजातियां जीवित हैं, इसके अलावा कई प्रजातियां अतीत में विलुप्त हो चुकी थीं। गैंडों में वयस्कों का वजन 1000 किलोग्राम से अधिक होता है। गैंडा भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, जिंबाब्वे, केन्या और युगांडा में भी गैंडे पाए जाते हैं।
 
आखिरी सफेद गैंडे की मौत की दर्दनाक कहानी : 2018 में दुनिया के आखिरी सफेद नर गैंडे ‘सुडान’ की उम्र संबंधी समस्याओं के कारण मौत हो गई है। केन्या के‘ओआई पेजेटा अभयारण्य’ से जारी एक बयान में कहा गया है कि 45 वर्षीय गैंडे की हालत खराब होने के बाद मौत की दवा दे दी गई। उम्र संबंधी बीमारी के कारण सुडान की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो गई थीं। इतना ही नहीं, उसकी त्वचा पर कई घाव तक हो गए थे। खराब हालत की वजह से सुडान ने फरवरी के आखिरी दो हफ्ते लेटे-लेटे बिताए।
 
यह नर गैंडा दो जीवित मादा गैंडों की मदद से विलुप्त होने वाली इस प्रजाति को बचाने के एक महत्वाकांक्षी प्रयास का एक हिस्सा था। 1960 मध्य अफ्रीका के जंगलों में इन गैंडों की संख्या करीब 2000 थी। एक समय‘सुडान’काफी लोकप्रिय था। हजारों लोग उसे देखने के लिए आते थे। सूडान का नाम पिछले काफी सालों से चर्चा में था। वह अपनी प्रजाति का आखिरी पुरुष गैंडा था।  
 
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गैंडों को बचाने में जुटा शाही परिवार : असम के प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क के एक सींग वाले गैंडों की आश्रयस्थली के तौर पर जाना जाता है लेकिन इन प्राणियों की जान अब यहां भी सुरक्षित नहीं है। 2016 में भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के ड्‍यूक और डचेज ऑफ कैम्ब्रिज प्रिंस विलियम और प्रिंसेज कैथरीन ने गैंडों का जीवन बचाने को लेकर इस पार्क का दौरा किया था। उनके दौरे की अवधि के 12 घंटों के अंदर ही एक गैंडे का अवैध शिकार कर लिया गया। 
 
सेव द राइनो अभियान से जुड़े रोहित शर्मा : स्टार क्रिकेटर रोहित शर्मा 9 अप्रैल 2021 में जब रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के खिलाफ इस सत्र के पहले आइपीएल मुकाबले में खास तरीके से डिजाइन जूते पहन कर खेलने उतरे, जिसमें ग्रेट वन-हॉर्नड राइनोसोर्स अथवा भारतीय राइनो जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों को दर्शाया गया है, जिन्हें बचाने की बात रोहित हमेशा करते हैं।
 
उनके जूतों पर एक खास कला के माध्यम से भारतीय राइनो छपे हुए थे और साथ ही लिखा था कि ‘ सेव द राइनो ’। यकीनन उनकी इस पहल से अधिक से अधिक लोग इस बारे में शिक्षित होंगे और विलुप्त होने वाली प्रजातियों को बचाने की दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों को और बल मिलेगा।
 
केविन पीटरसन भी गैंडा संरक्षण अभियान से जुड़े : इंग्लैंड के दिग्गज क्रिकेटर केविन पीटरसन भी लंबे समय से भारत में गैंडा संरक्षण के कार्य से जुड़े हुए हैं। पीटरसन ने जनवरी 2022 में भारत में गैंडों के अवैध शिकार में आई गिरावट से जुड़ी एक रिपोर्ट पर पीएम मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने 2020 में असम में नेशनल ज्योग्राफिक चैनल के लिए 'सेव दिस राइनो' नाम से एक एक डॉक्यूमेंट्री भी शूट की थी।

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