इरोम शर्मिला फिर से गिरफ्तार

Webdunia
सोमवार, 25 अगस्त 2014 (20:17 IST)
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इंफाल। अदालत के आदेश पर दो दिन पहले रिहा की गईं सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को शुक्रवार को पुलिस ने आत्महत्या का प्रयास करने के ताजा आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया और फिर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

मणिपुर के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) (खुफिया) संतोष माचेरला ने बताया, हमने उन्हें आज सुबह ही फिर से गिरफ्तार किया है और आत्महत्या के प्रयास के मामले (भारतीय दंड संहिता की धारा 309) के तहत सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) से हमें उनकी न्यायिक हिरासत मिली है।

शर्मिला को पुलिस जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के बाहर बनाए गए छोटे अस्थाई आश्रय स्थल से जबरन ले गई। शर्मिला ने यहां अपना अनशन जारी रखा था।

इंफाल में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को 42 वर्षीय शर्मिला को उनके अनशन को लेकर आत्महत्या के प्रयास के आरोप से बरी कर दिया था जिसके बाद वे बुधवार को अस्पताल बने जेल से बाहर आ गई थीं।

दिन के समय सीजेएम अस्पताल गए और मामले की सुनवाई के बाद शर्मिला को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। पुलिस अधिकारी ने कहा, उन्हें नाक से नली के जरिए जबरन भोजन दिया जाएगा जैसा पहले किया गया था। उनके परिवार का दावा है कि प्रदर्शन स्थल से ले जाते समय पुलिसकर्मियों ने शर्मिला के साथ बुरा बर्ताव किया।

परिवार के एक सदस्य ने शर्मिला की फिर से गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा, उनके हाथ में चोट आई है और एक नाखून उखड़ गया। हम इस मामले पर अपने वकील से बात करेंगे और रिहाई के लिए अदालत के समक्ष फिर से याचिका दायर की जाएगी।

कई सामाजिक संगठनों ने अदालत के पहले के आदेश के बावजूद शर्मिला की फिर से गिरफ्तारी के कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया। ‘मणिपुर वूमेन गन सरवाइवर्स नेटवर्क’ की संस्थापक बीनालक्ष्‍मी नेपराम ने कहा, यह 48 घंटे से बिना भोजन एवं पानी के प्रदर्शन कर रही एक शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी को पुलिस अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने का मामला है।

उन्होंने आफ्सपा को हटाने की मांग करते हुए कहा, गांधीवाद का अनुसरण करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी की गिरफ्तारी हमारे लोकतंत्र पर धब्बा है।इससे पहले अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह उन्हें वहां से ले जाने से पहले उनके स्वास्थ्य में गिरावट हो रही थी। सशस्त्र बल विशेषाधिकार (असम और मणिपुर) अधिनियम 1958 (आफस्पा) को वापस लिए जाने की मांग को लेकर शर्मिला पिछले 14 वर्षों से अनशन पर हैं।

बुधवार को अपनी रिहाई के बावजूद शर्मिला ने अस्पताल के निकट ही अपना अनशन जारी रखा था। अपनी रिहाई के बाद भी पूर्व पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता ने सरकार द्वारा आफस्पा को रद्द किए जाने तक घर वापसी नहीं करने और अपनी मां से नहीं मिलने का निर्णय किया।

उन्होंने कहा, जब तक मेरी मांग (आफस्पा की वापसी तक) नहीं मानी जाती मैं अपना अनशन जारी रखूंगी। सत्र न्यायालय के इस आदेश को कि मैं आत्महत्या का प्रयास (विवादास्पद अधिनियम को हटाए जाने के लिए अनशन शुरू करना) नहीं कर रही, उसका स्वागत करती हूं। (भाषा)

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