जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्यूषण पर्व के आखिरी दिन, क्षमावाणी दिवस पर एक-दूसरे से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहने की परंपरा है। इसमें हर छोटे-बड़े से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कह कर क्षमा मांगी जाती हैं और कहा जाता है कि मैंने मन, वचन, काया से, जाने-अनजाने आपका मन दुखाया हो तो हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगता हूं।
' मिच्छामी' का भाव क्षमा करने से और 'दुक्कड़म' का गलतियों से है। अर्थात मेरे द्वारा जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए मुझे क्षमा कीजिए। मिच्छामी दुक्कड़म प्राकृत भाषा का शब्द है।
काफी जैन ग्रंथो की रचना प्राकृत भाषा में ही हुई है। पर्यूषण महापर्व, जैन धर्मावलंबियों में आत्म शुद्धि का पर्व है'। इस दौरान लोग पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या, उपवास आदि में अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं। इस पर्व का आखिरी दिन क्षमावाणी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमे हर किसी से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कह कर क्षमा मांगते हैं।
गौरतलब है कि जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में आज पर्यूषण पर्व संपन्न हुआ है और आज क्षमावाणी दिवस मनाया जा रहा है जबकि दिगम्बर संप्रदाय में कल से पर्यूषण पर्व का शुभारंभ हो रहा है जिसके संपन्न होने पर क्षमावाणी दिवस 9 सितंबर को मनाया जाएगा।