टीवी चैनलों पर नियंत्रण के लिए कानून नहीं

Webdunia
मंगलवार, 7 सितम्बर 2010 (15:13 IST)
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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि सरकार टीवी चैनलों की सामग्री पर नियमन के लिए किसी तरह का कानून लाने पर विचार नहीं कर रही और इसके लिए सेल्फ रेगुलेशन या कोरेगुलेशन जैसे तरीकों पर विचार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इस लिहाज से एक नोडल एजेंसी के रूप में राष्ट्रीय प्रसारण प्राधिकरण बनाने की योजना है। उन्होंने पायरेसी को रोकने के लिए सिनेमा के पूरी तरह डिजिटलीकरण को प्रभावी बताया।

सोनी ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहती हूँ कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय चैनलों की सामग्री पर नियमन के लिए कोई विधेयक लाने पर विचार नहीं कर रहा है। इससे पहले विधेयक का एक मसौदा तैयार किया गया था लेकिन अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।

उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर में हमारे मंत्रालय ने एक विशेष कार्य बल गठित किया था जो समाज के लोगों और संगठनों से बातचीत कर समाधान पर विचार-विमर्श कर रहा है, जिससे चैनलों की सामग्री पर आत्मनियमन का खाका तैयार हो सके।

मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार आत्मनियमन के लिए प्रतिबद्ध है और हम इसके लिए एक प्रणाली लाने पर विचार कर रहे हैं। सोनी ने कहा कि इस दिशा में प्रसारणकर्ताओं से भी बातचीत चलती रहती है।

सोनी ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी और कंटेंट दोनों विषयों पर दो समूह गठित किये। पायरेसी पर रिपोर्ट आ चुकी है लेकिन विषयवस्तु पर जब तक रजामंदी नहीं बनती तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता और इससे संबंधित समिति की रिपोर्ट अभी आना बाकी है।

उन्होंने इंटरनेट तथा साइबर जगत के माध्यम से बढ़ती पायरेसी पर चिंता जताते हुए कहा कि इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच समन्वय से समाधान निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सोनी ने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में पायरेसी बहुत तेजी से बढ़ रही है और भारत जैसे बड़े फिल्म उत्पादक देश में यह चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि पायरेसी पर विचार विमर्श के लिए 2009 में एक समिति का गठन किया गया था और इस बुराई के खिलाफ कुछ सख्त नियम बनाए गए हैं, जिनसे मदद मिलने की संभावना है। उन्होंने पायरेसी को रोकने के लिए जनता के बीच इस अपराध को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाने पर भी जोर दिया और साथ ही कहा कि लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए फिल्मों खासतौर पर डीवीडी आदि के दाम कम करने होंगे क्यांेकि इनकी लागत इतनी महँगी नहीं होती। (भाषा)

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