उन्होंने बताया कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 1992 के बाद से बदलाव नहीं हुआ है, जबकि गुजरे ढाई दशक के दौरान देश में खासकर संचार तकनीक और आर्थिक गतिविधियों में बड़े परिवर्तन हो चुके हैं। लिहाजा देश को नई और ठोस शिक्षा नीति की जरूरत है। नई नीति से शिक्षा तंत्र को वैश्विक चुनौतियों के मुताबिक ढाला जा सकेगा। इसके साथ ही- शोध, विकास और नवाचार के समकालीन मुद्दों पर भी विचार किया जा सकेगा।