थरूर- उच्च शिक्षा में गुणवत्ता पर ध्यान

Webdunia
सोमवार, 5 नवंबर 2012 (14:27 IST)
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मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि सरकार बारहवीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देगी और उद्योग जगत को इससे जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय परिषद् का गठन किया जाएगा तथा शोध कार्यों को भी बढ़ाया जाएगा।

थरूर ने योजना आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा भारतीय उद्योग वाणिज्य मंडल (फिक्की) द्वारा आयोजित 8वें उच्च शिक्षा ग्लोबल सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 'भारत में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाने' के लिए किया गया है।

सम्मेलन में स्वागत भाषण फिक्की के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ बिडला ने दिया जबकि मुख्य वक्तव्य एचसीएल के अध्यक्ष शशि नाडर ने दिया। इस मौके पर उन्होंने योजना आयोग और फिक्की की उच्च शिक्षा पर रिपोर्ट तथा भारत में निजी शिक्षण संस्थानों की रिपोर्ट तथा भारत में उच्च शिक्षा के पचास वर्ष नामक पुस्तक भी जारी की।

थरूर ने कहा कि उच्च शिक्षा में हमने 11वीं पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद का 1.22 प्रतिशत ही खर्च किया जबकि अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में सकल घरेलू उत्पाद का क्रमश: 3.1 प्रतिशत तथा 2.4 प्रतिशत खर्च हो रहा है। भारत में एकल घरेलू उत्पादन का 1.5 प्रतिशत खर्च होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा में शिक्षकों की काफी कमी है। यहां औसतन 26 छात्रों पर एक टीचर है जबकि विश्व में यह औसत 16 छात्रों परएक टीचर का है।

उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में 30 से 35 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है जबकि राज्यों के विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है।

उन्होंने यह भी कहा कि आनंदकृष्णन समिति ने शिक्षा से जुड़े हर मंत्रालय का दो प्रतिशत हिस्सा शोध कार्यों पर खर्च करने की सिफारिश की है और नाराणमूर्ति समिति ने उद्योग जगत तथा सरकार के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए एक राष्ट्रीय परिषद् गठित करने की सिफारिश की है। सरकार इन दोनों सिफारिशों को लागू करने पर विचार कर रही है।

उन्होंने कहा कि अगले तीन दशक में विश्व के सबसे अधिक कामगार भारत में होंगे जो पूरी दुनिया का 32 प्रतिशत हिस्सा होगा जबकि विश्व के अन्य देशों में कामगारों की संख्या 4 प्रतिशत घट जाएगी चीन में कामगारों की तादाद 5 प्रतिशत घटेगी। इसलिए भारत के युवा कामगारों की पूरी दुनिया में मांग बढ़ेगी। यह देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को और आगे आने की जरूरत है। (वार्ता)

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