भारत में 1706 बाघ

चार वर्ष में 12 फीसदी बढ़ोतरी

Webdunia
सोमवार, 28 मार्च 2011 (16:02 IST)
SUNDAY MAGAZINE
देश में महज 1411 बाघ शेष रह जाने के चिंतित कर देने वाले आँकड़ों से उबरते हुए अब नई गणना में बाघों की संख्या 1706 पाई गई है। खतरे में पड़ी इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या में बीते चार वर्ष में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है।

बाघ गणना-2010 को विश्व का अब तक का सबसे व्यापक और अत्याधुनिक-वैज्ञानिक तरीके से हुआ आकलन करार देते हुए पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने सोमवार को यहाँ कहा कि बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बीते चार वर्ष में देश भर में अच्छा काम हुआ है। इसी के नतीजतन अब देश में बाघों की औसत संख्या 1706 है।

ताजा गणना के अनुसार, देश में अब 1571 से 1875 के बीच बाघ हैं। इसका औसत अनुमानित आंकड़ा 1706 लिया गया है। बाघों की पिछली गणना वर्ष 2006 में हुई थी। उसमें खुलासा हुआ था कि देश में महज 1411 बाघ ही शेष रह गए हैं। ताजा गणना में सुंदरबन को पहली बार शामिल किया गया है।

रमेश ने अंतरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में ये आँकड़े जारी करते हुए कहा कि बाघों की संख्या में बीते चार वर्ष में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। यह एक अच्छा संकेत है।

लेकिन उन्होंने आगाह किया कि देश में बाघ संरक्षित गलियारों के समक्ष गंभीर खतरा मौजूद है। बाघों की संख्या संरक्षित क्षेत्रों में कम हुई है। बाघों के पर्यावास वाले क्षेत्रफल में कमी देखी गई है।

कुल अनुमानित संख्या में से 30 फीसदी बाघ 39 संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रह रहे हैं। बाघों को खनन माफिया और भू-माफिया से खतरा है। कोयला खनन और सिंचाई परियोजनाएँ भी बाघों के संरक्षण के लिहाज से प्रतिकूल हैं।

बाघों की गणना : पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि बाघों की गणना के महत्व के मद्देनजर नक्सलवाद और अन्य तरह की हिंसा से प्रभावित इलाकों में मौजूद बाघ संरक्षित क्षेत्रों को भी इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या का पता लगाने की कवायद में शामिल किया गया।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ स्थित इंद्रावती, झारखंड स्थित पलामू, आंध्र प्रदेश स्थित नागाजरुनसागर श्रीसैलम, उड़ीसा स्थित सिम्पलीपाल और बिहार स्थित वाल्मीकि बाघ संरक्षित क्षेत्र नक्सलवाद या अन्य तरह की हिंसा से प्रभावित इलाकों में आता है।

आँकड़ों को लेकर मतभेद : बाघों के गणना के आज जारी हुए बहुप्रतीक्षित आँकड़ों के बारे में भारतीय वन्यजीव संस्थान, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और बाघ विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। रमेश बाघ गणना-2010 के आँकड़े जारी करते हुए जोर दिया कि पश्चिम बंगाल के सुंदरबन को पहली बार बाघ गणना में शामिल किया गया है। वहाँ 70 बाघों की मौजूदगी पाई गई है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 की गणना के मुताबिक बाघों की संख्या 1,411 थी। लिहाजा, अगर चार वर्ष पहले के आँकड़ों से तुलना करनी है तो वह सुंदरबन के आँकड़ों को शामिल किए बिना होनी चाहिए। इस तरह बाघों की औसत अनुमानित संख्या 1,636 मानी जानी चाहिए।

रमेश की इस बात पर सम्मेलन में मौजूद कई बाघ विशेषज्ञों ने असहमति जताई और उन्होंने बाघों की गणना का औसत आंकड़ा 1,706 को ही मान लेने पर जोर दिया, जिसका गणना की रिपोर्ट में भी जिक्र है।

इससे पहले, भारतीय वन्यजीव संस्थान के वाई वी. झाला ने कहा कि नई गणना के अनुसार बाघों की न्यूनतम संख्या 1,571 और अधिकतम संख्या 1,875 है। लिहाजा, निम्नतम और उच्चतम सीमा, दोनों पर विचार किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इसे विश्व में सबसे आधुनिक तरीके से की गई बाघ गणना माना जा रहा है। इसके लिए बाघ संरक्षित क्षेत्रों में जलाशयों जैसे अहम स्थानों पर अत्याधुनिक कैमरे स्थापित किए गए। इस तरह 1,706 में से 38 फीसदी बाघों की 615-615 तस्वीरें ली जा सकीं। इसके अलावा पैरों के निशान, रेडियो कॉलर और उपग्रह मैपिंग प्रणाली का भी गणना में इस्तेमाल किया गया। (भाषा)

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