मदद की खातिर ट्रेन के फर्श पर सो गए मोदी...

Webdunia
रविवार, 1 जून 2014 (15:38 IST)
नई दिल्ली। वो रात बेशक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिलकुल याद नहीं होगी लेकिन जिस पर उपकार होता है, वह उसे जीवन में कभी नहीं भूल पाता और असम की एक महिला को भी वह रेलयात्रा आज तक याद है, जब करीब 3 दशक पहले दिल्ली से अहमदाबाद के सफर में उनकी सहायता की खातिर मोदी पूरी रात ट्रेन के फर्श पर सोए थे।
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ऐसा नहीं है कि असम की इन महिला को मोदी की इस सहृदयता की याद बरबस अब आई हो जब वे प्रधानमंत्री बन गए, बल्कि जब वे पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो लीना सरमा ने अपने उस रात के किस्से को असम के अखबारों में भी बयान किया था।

संयोग की बात यह है कि उस रात के ये दो 'हमसफर' अपने-अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंच चुके हैं। अहमदाबाद-दिल्ली का सफर कर रहे मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं तो रेलवे सेवा के प्रोबेशनरी प्रशिक्षण के लिए अचानक उन्हें रेल में मिली लीना अब रेलवे सूचना प्रणाली की महाप्रबंधक हैं।

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लीना के अनुसार 1990 की गर्मियों में जिस रात उनकी क्षणिक मुलाकात मोदी से हुई, उस समय उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के नेता शंकर सिंह वाघेला भी थे।

दिल्ली से अहमदाबाद की ट्रेन फुल हो चुकी थी और रेल सेवा के अगले प्रशिक्षण के लिए जा रही लीना और उनकी साथी उत्पलपर्ण हजारिका, जो अब रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक बन चुकी हैं, को आरक्षण नहीं मिल पाया था।

ट्रेन के टीटीई ने इन दोनों को प्रथम श्रेणी की एक बोगी में बैठा दिया जिसमें दो नेता भी सवार थे, जो उनके खादी कुर्तों से जाहिर था।

बस यहीं से एक दिलचस्प सफर शुरू हुआ। इससे पिछली ट्रेन में जब लीना लखनऊ से दिल्ली के लिए आई थीं तो 2 सांसदों के साथ सवार हुए 12 से अधिक समर्थकों ने यात्रियों का जीना मुहाल कर दिया था और उस अनुभव को याद करते हुए एक बार फिर से 2 नेताओं के बीच बैठना वाकई उनके लिए असहज था।

टीटीई ने लीना की हिचक को ताड़ लिया और उन्हें भरोसा दिलाया कि ये दोनों अक्सर इस रूट पर चलते हैं और भले मानस हैं। जैसे ही बर्थ का इंतजाम हो जाएगा तो वे उपलब्ध करा देंगे। दोनों नेताओं ने एक सीट के कोने में खिसककर इन दोनों युवतियों को जगह दे दी।

कुछ देर बाद टीटीई ने बुरी खबर सुनाई कि रेल एकदम फुल है और सीट नहीं मिल पाएगी तो दोनों नेताओं ने कहा कि हम इन्हें एडजस्ट कर लेंगे। कुछ बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो उन्होंने बताया कि वे भाजपा के लिए काम करते हैं।

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सीनियर नेता ने जब कहा कि वे गुजरात में भाजपा के लिए काम क्यों करतीं? तो लीना ने उन्हें बताया कि वे असम की हैं। इस पर युवा मोदी ने कहा कि तो क्या हुआ? हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। हम अपने गुजरात में हर राज्य के टैलेंट की कद्र करते हैं।

शाम ढली तो 4 वेज थाली आ गईं। पेंट्री कार वाला भुगतान लेने आया तो युवा मोदी ने सबके पैसे चुका दिए। इसके बाद उन्होंने फर्श पर चादर बिछा ली और दोनों नेताओं ने इन दोनों युवतियों के लिए अपनी बर्थ छोड़ दी।

इससे पहली ट्रेन के अनुभवों को देखते हुए दोनों महिलाओं को यकीन नहीं हो पा रहा था कि राजनीतिक नेता ऐसे भी हो सकते हैं।

अगली सुबह जब रेल अहमदाबाद पहुंचने को हुई तो वरिष्ठ नेता ने लीना से पूछा कि शहर में ठहरने का ठिकाना तो है? उन्होंने यकीन दिलाया कि कोई भी दिक्कत हो तो वे उनसे बेहिचक संपर्क कर लें।

लीना ने अब उनके नाम नोट करने में दिलचस्पी ली। अपनी डायरी निकाली और युवा नेता के सामने कर दी। उस डायरी के पन्ने पर युवा नेता ने अपना नाम 'नरेन्द्र दामोदर मोदी' लिखा और अपने साथी वरिष्ठ नेता का नाम शंकरसिंह वाघेला। लीना ने वह डायरी आज तक सहेजकर रखी है, जो उनके जीवन का अविस्मरणीय हिस्सा बन गई है। (वार्ता)

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