मृत्युदंड पर सुनवाई खुली अदालत में-सुप्रीम कोर्ट

Webdunia
मंगलवार, 2 सितम्बर 2014 (12:52 IST)
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि मौत की सजा का सामना कर रहे दोषियों की, अपनी सजा की समीक्षा के लिए की जाने वाली अपील पर सुनवाई कम से कम तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा खुली अदालत में की जाए।
 
साथ ही न्यायालय ने मौत की सजा का सामना कर रहे उन दोषियों को एक माह के अंदर उनके मामले फिर से खोले जाने के लिए नई याचिकाएं दायर करने की अनुमति दे दी जिनकी समीक्षा याचिकाओं पर पहले ही फैसला हो चुका है।
 
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा बहुमत से दिए गए फैसले में न्यायालय ने कहा कि अगर मौत की सजा का सामना कर रहे किसी दोषी की उपचारात्मक याचिका पर फैसला हो चुका है, तो वह अपनी समीक्षा याचिका की पुन: सुनवाई के लिए अपील दायर नहीं कर सकता।
 
प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा सहित चार न्यायाधीश समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने के पक्ष में थे, वहीं एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने इससे असहमति जताई।
 
न्यायालय ने यह आदेश लाल किला हमला मामले के दोषी मोहम्मद आरिफ तथा 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के दोषी याकूब अब्दुल रजाक मेमन सहित मौत की सजा का सामना कर रहे छह दोषियों की याचिकाओं पर दिया। इन सभी ने अदालत से आग्रह किया था कि उनकी समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई के बाद फैसला किया जाना चाहिए।
 
इससे पहले, ज्यादातर मामलों में समीक्षा याचिकाओं पर न्यायाधीशों के कक्ष में फैसला किया गया और संबद्ध पक्षों को वहां उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी गई।
 
याचिका दायर करने वालों में मौत की सजा का सामना कर रहे सी मुनियप्पन, बी ए उमेश, सुंदर और सोनू सरदार भी शामिल हैं। (भाषा)
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