लांच हुआ सबसे सस्ता और छोटा वेंटिलेटर

Webdunia
बुधवार, 13 सितम्बर 2017 (18:44 IST)
चिकित्सा क्षेत्र से राहतभरी खबर सामने आई है। एम्स में मंगलवार को सबसे सस्ता और छोटा पोर्टेबल वेंटिलेटर लांच हुआ है। यह वेंटिलेटर एक युवा वैज्ञानिक ने स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है। ए सेट रोबॉटिक्स के हेड और युवा वैज्ञानिक दिवाकर वैश्य ने स्वदेशी पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार किया है। इसकी कीमत सिर्फ 15,000 से 20,000 रुपए होगी। 
 

मोबाइल एप से चलने वाले इस वेंटिलेटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे जेब में रखा जा सकता है। ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना काम करने वाला यह दुनिया का पहला वेंटिलेटर है। एम्स में चल रहे किफायती मेडिकल तकनीक सम्मेलन के दूसरे दिन इसे प्रदर्शित किया गया। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया गया है। 
 
लॉन्चिंग के मौके पर इसे बनाने वाले दिवाकर ने कहा कि सामान्य वेंटिलेटर व्यक्ति की हाइट के बराबर होता है।   कई उपकरण होते हैं। उसे ट्रेंड डॉक्टर ही चला पाते हैं। पोर्टेबल वेंटिलेटर अपने मॉडल के कारण आम आदमी के लिए सरल है। इसे चलाना भी आसान है। मरीज पोर्टेबल वेंटिलेटर को घर में भी इस्तेमाल कर सकता है। दिवाकर ने बताया कि वेंटिलेटर के जरिए संकट के समय मैसेज भी भेजा जा सकता है। 
 
ये चीजें बना चुके हैं दिवाकर :  दिवाकर इससे पहले माइंड कंट्रोल करने वाली वील चेयर, थ्रीडी प्रिंटेड रोबोट और डांसिंग रोबोट बना चुके हैं। इसमें ऑन-बोर्ड लाइट लगी है जो संभावित समस्या की जानकारी देती है। यह जानकारी वेंटिलेटर निर्माताओं को भी दी जा सकती है। करीबियों को चेतावनी देने के लिए इसमें कई तरह की टोन लगाई गई हैं। इसके बोर्ड पर दो कंप्यूटर हैं। एक खराब हो जाए तो दूसरा काम करने लगता है।  
 
ऐसे करेगा काम : जिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है, उनके गले में एक स्थायी ट्यूब डाली जाती है। इसी ट्यूब को पोर्टेबल वेंटिलेटर से जोड़ दिया जाता है। यह बिजली से चलता है। वेंटिलेटर में लगे प्रेशर सेंसर से मरीज जरूरत के अनुसार सांस लेता और छोड़ता है। 
 
ये होंगी खूबियां : छोटा और सस्ता होने के कारण इसका प्रयोग करना आसान होगा। कम कीमत की वजह से यह आम आदमी के लिए मुफीद। यह बिना ऑक्सीजन सिलिंडर के चलेगा और इसके लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं होगी। इस वेंटिलेटर के लांच होने से कई साल से वेंटिलेटर पर जीवन गुजार रहे मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। उन लोगों की जान बचाने में भी आसानी होगी जिन्हें समय रहते कृत्रिम सांस नहीं मिल पाती। सस्ता होने के कारण छोटे अस्पताल भी इसका प्रयोग ग्रामीण इलाकों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। 
(प्रतीकात्मक चित्र)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

50 साल बाद भी मानसिकता नहीं बदली, गांधी परिवार के खिलाफ किसने दिया यह बयान

सोने की चिड़िया की नहीं, भारत को अब शेर बनने का समय आ गया, केरल में ऐसा क्यों बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

रेव पार्टी पर छापा, पूर्व मंत्री खड़से के दामाद समेत 7 लोग हिरासत में

केंद्रीय विवि में नियुक्ति को लेकर Congress का केंद्र पर निशाना, कहा- OBC, SC-ST को नहीं दी नौकरियां

Mansa devi mandir stampede : हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में किस अफवाह के कारण मची भगदड़? सामने आया कारण, देखें वीडियो

सभी देखें

नवीनतम

पृथ्वी अवलोकन उपग्रह Nisar 30 जुलाई को होगा प्रक्षेपित, NASA और ISRO का है संयुक्त अभियान

LIVE: विपक्ष का हंगामा, लोकसभा की कार्रवाई स्थगित, ऑपरेशन सिंदूर पर होना थी चर्चा

भारत के 10 हथियार जिनसे अमेरिका भी घबराता है, चीन भी मानता है लोहा

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से सुलह संबंधी बातचीत से किया इंकार, जानिए क्यों

बिरला की राहुल को हिदायत, अपने नेताओं को समझाइए कि जनता ने पर्चियां फेंकने के लिए नहीं भेजा

अगला लेख