लिट्‍टे आतंकियों से सहानुभूति नहीं-प्रणब

Webdunia
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009 (17:06 IST)
भारत ने स्पष्ट किया कि उसे श्रीलंका में आतंकवादियों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन वह उन हजारों नागरिकों को लेकर चिंतित है, जो संघर्ष जोन से पलायन कर रहे हैं। विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 58 हजार 600 नागरिक संघर्ष जोन से बाहर आ चुके हैं।

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मुखर्जी ने कहा कि अंतत: यह सचाई नहीं है कि श्रीलंकाई अधिकारी हमारी अपील पर प्रतिक्रिया नहीं कर रहे हैं। दरअसल हमें आतंकवादियों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन नागरिकों के लिए हर तरह की सहानुभूति है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष जोन में फँसे नागरिकों की सही संख्या के बारे में परस्पर विरोधी संकेत हैं। श्रीलंकाई अधिकारी कह रहे हैं कि संख्या 10 हजार से 15 हजार के बीच है। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों ने यह संख्या 30 हजार और 40 हजार के बीच बताई है।

विदेशमंत्री ने कहा कि भारत कोलंबो से कहता रहा है जो वह कह रहा है या कर रहा है, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में होना चाहिए ताकि मानवाधिकार या आजादी का कोई उल्लंघन न हो।

नागरिकों को निकाले जाने के बारे में उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विश्वास में लेना चाहिए। भारत पहले ही संघर्ष विराम की अवधि में विस्तार की श्रीलंका सरकार से अपील कर चुका है।

विदेशमंत्री के अनुसार हमने संघर्ष विराम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। हमने जो कहा वह यह कि कुछ अंतराल (पॉज) होना चाहिए ताकि नागरिक सुरक्षित जोन में जा सकें। मैंने श्रीलंकाई सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री का वितरण अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस के जरिये ही किया जाए।

मुखर्जी ने जोर दिया कि अन्य देशों और विशेष तौर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा भेजी गई राहत सामग्री भी अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस के जरिये वितरित करने की अनुमति दी जाए।

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