श्रीसंथ के मित्र को मिली जमानत

Webdunia
गुरुवार, 30 मई 2013 (16:29 IST)
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नई दिल्ली। क्रिकेटर एस. श्रीसंथ के होटल के कमरे से कथित रूप से उसका पैसा और अन्य वस्तुएं हटाने के आरोप में गिरफ्तार अभिषेक शुक्ला को गुरुवार को यहां की एक अदालत ने जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने शुक्ला को न्यायिक हिरासत में भेजने की दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी।

अदालत ने एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर कार्यरत शुक्ला को 25 हजार रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के बांड पर जमानत प्रदान की। अदालत ने उसे अपना पासपोर्ट जमा करने, मुंबई स्थित आवास नहीं छोड़ने और जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लोकेश कुमार शर्मा ने शुक्ला को न्यायिक हिरासत में भेजने की अभियोजन की याचिका खारिज कर दी क्योंकि उसका विचार था कि पुलिस यह विश्वास दिलाने में असफल रही कि शुक्ला आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण का हिस्सा था।

शुक्ला के वकील अंकुर जैन ने यह कहते हुए जमानत याचिका दायर की कि वह षड्यंत्र का हिस्सा नहीं था। शुक्ला पहला व्यक्ति है, जिसे स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में जमानत प्रदान की गई।

दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने कल शुक्ला को गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि श्रीसंथ की गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसने मामले में सह-आरोपी जीजू जनार्दन के कहने पर मुंबई स्थित होटल में श्रीसंथ के कमरे से उसका पैसा हटाया था।

अदालत ने पुलिस से यह भी पूछा कि शुक्ला को उसकी इजाजत के बिना कल मुंबई कैसे ले जाया गया। इस पर अभियोजक ने कहा कि शुक्ला को दिल्ली के बाहर इसलिए ले जाया गया क्योंकि कुछ बाध्यकारी परिस्थितियां थीं और बरामदगी करनी थी।

पुलिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि शुक्ला ही श्रीसंथ के बिल चुकाता था और उन स्थानों पर उसके साथ जाता था जहां वह मैच खेलने जाता था। पुलिस ने कहा कि श्रीसंथ के कमरे से हटाए गए साढ़े पांच लाख रुपए उसके पास से ही बरामद हुए हैं।

अदालत ने हालांकि कहा कि किसी व्यक्ति की ओर से बिल का भुगतान करना या उसके साथ किसी स्थान पर जाना कानूनन आपराधिक कृत्य नहीं है। उसकी कोई भी आपराधिक जवाबदेही नहीं बनती। मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि अधिक से अधिक शुक्ला के खिलाफ सबूत हटाने या मिटाने का मामला दर्ज किया जा सकता है।

अभियोजन ने यह कहते हुए शुक्ला की अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि श्रीसंत की गिरफ्तारी के बाद उसके कमरे से वस्तुएं हटाने के आचरण के मद्देनजर उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

अदालत ने हालांकि कहा कि चूंकि यह अपराध अपने आप में जमानती है, अपराध करने का षड्यंत्र भी जमानती होगा। (भाषा)

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