भविष्य में बहुत पहले से ही झांकने की ताकत रखने वाले सत्या नाडेला (जिनका पूरा नाम सत्यनारायण चौधरी नाडेला है) ने फिर एक बार अपने को साबित कर दिया है। सत्या ने माइक्रोसॉफ्ट के लोकप्रिय सर्च टूल-बिंग-को विकसित करने में अपने इंजीनियरिंग कौशल को दर्शाया। इससे पहले भी उन्होंने कंपनी के ऑन लाइन विज्ञापन से जुड़े प्रयासों को नई ऊंचाइयां दीं।
हैदराबाद पब्लिक स्कूल में सत्या ने पढ़ाई की थ ी
भारत में पैदा हुए कंपनी के इस एक्जीक्यूटिव की नेतृत्व क्षमता को तब और सराहा गया जब उनके नेतृत्व में माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड और एंटरप्राइज डिवीजन को आगे बढ़ाया और इसके चलते कम्पनी की आय में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। इस साल के पिछले तीन माह से इस वर्ष के तीन माह के दौरान यह बढ़ोतरी 3 करोड़ डॉलर रही है।
क्लाउड के आने से यह सारी प्रक्रिया बाधित होगी क्योंकि अब कोई अपने एप्लीकेशन माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड पर चला रहा है तो उसे हार्डवेयर खरीदने की जरूरत नहीं होगी, अपना नेटवर्क स्थापित करने की जरूरत नहीं होगी और वे सारे काम नहीं करने होंगे जोकि उन्हें पहले करने पड़ते थे।
वे माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख बने हालांकि इससे पहले उन्होंने कभी किसी कंपनी का संचालन नहीं किया। लेकिन, माइक्रोसॉफ्ट में बीस वर्ष से काम करने वाले नाडेला अपनी कंपनी के साथ ही सांस लेते हैं और इसके लिए जीवित रहते हैं। हालांकि वॉल स्ट्रीट में इस तरह की अटकलें लगाई जा सकती हैं कि क्या कोई अंदरूनी व्यक्ति कंपनी को आगे बढ़ाने में अधिक मदद कर सकता है, लेकिन कंपनी के पास एक ऐसा व्यक्ति है जिसमें उसे भरोसा है कि वह कंपनी के मिशन के बारे में सभी कुछ भलीभांति जानता है।