सरकार ने कहा- शरणार्थी शिविर खाली करो

मजबूरन घरों को लौटने लगे पलायन करने वाले सीमावासी

Webdunia
शनिवार, 30 अगस्त 2014 (19:18 IST)
- सुरेश एस डुग्ग र

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श्रीनगर। एक बार फिर भारत सरकार ने पाकिस्तान के समझौतों पर विश्वास कर उन हजारों सीमावासियों को अपने घरों को लौटने को मजबूर कर दिया है, जो जम्मू सीमा पर 25 दिनों तक चली भीषण गोलाबारी के कारण पलायन कर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हुए थे। अब उन्हें शरणार्थी शिविर खाली करने को कहा गया है जबकि वे जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना किसी भी समय फिर से गोलाबारी आरंभ कर सकती है।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए सेक्टर कमांडर स्तर की बातचीत से पलायन कर राहत कैंपों में रहने वालों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन प्रशासन ने कैंपों को खाली करने के आदेश देकर उनकी नींद उड़ा दी है। प्रशासन के आदेश से कई लोगों ने कैंप तो छोड़ दिए, लेकिन उनके चेहरों पर अभी भी दहशत व्याप्त है।

शुक्रवार सुबह भारत-पाक के बीच बातचीत होने की जानकारी मिलने से राहत शिविरों में रह रहे हजारों लोगों में उम्मीद बंधी थी, मगर उन्हें यह पता नहीं था कि शाम को प्रशासन उन्हें वापस घरों को जाने के लिए विवश कर देगा।

शाम को अचानक आए आदेश से सभी सकते में आ गए। दिल में खौफ लेकर गांव पिंडी, कदोवाल, जोइयां, कठाड़, कोटला व चानना चंगिया के लोग शिविर खाली कर अपने घरों को चले गए, लेकिन लोगों के चेहरों पर खौफ साफ झलक रहा था।

ये लोग अपने बच्चों को लेकर घरों की ओर नहीं गए। उन्होंने बच्चों को अपने करीबी रिश्तेदारों के घरों में भेज दिया। उनका कहना था कि प्रशासन ने तो केवल कैंप खाली करने का आदेश दिया है। वे कैंप छोड़कर तो जा रहे हैं, मगर वे बच्चों को लेकर नहीं जा सकते। कभी भी पाकिस्तान की ओर से फायरिंग शुरू हो सकती है। अगर पाकिस्तान फिर से फायरिंग शुरू करता है तो वे आसानी से फिर घरों को छोड़कर वापस जा सकते हैं।

प्रशासन की ओर से राहत कैंपों को खाली करने के निर्देशों को कई लोगों ने तो मान लिया, लेकिन कई गांवों के लोगों ने आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना था कि उन्हें पाकिस्तान पर जरा भी विश्वास नहीं है। 2 महीनों से उन्होंने बहुत कुछ खोया है अब और खोने की उनमें ताकत नहीं है।

गांव सलैंड में बनाए गए राहत शिविरों में ठहराए गए पंचायत त्रेवा व जबोवाल के लोगों ने शिविर छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना था कि हमें फ्लैग मीटिंग से कुछ लेना-देना नहीं है। जहां तक पाकिस्तान की बात है तो हमें उसकी जुबान पर तनिक भी भरोसा नहीं है। हो सकता है, हम अपने घर लौटें और पाकिस्तान गोलाबारी शुरू कर दे।

आज कई ग्रामीण अपना सामान लेकर घरों को रवाना हो गए। इसके साथ कैंपों में लोगों को सुविधा दे रही सेना भी लौट गई। हालांकि अपने घर लौट रहे लोग अभी भी पाक गोलीबारी से खौफजदा हैं। सीमांत ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें अपने घरों को लौटने के बारे में कहा है।

उन्हें नहीं लगता कि अभी सीमा पर हालात ठीक हुए हैं। बेशक पिछले 4 दिनों से सीमा पर कोई गोलीबारी नहीं हुई है, बावजूद इसके पाकिस्तान पर उनको भरोसा नहीं है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की इस खामोशी के पीछे कोई तूफान न छिपा हो।

गांव बेरा निवासी नायब सरपंच विजय चिब, शीलादेवी, जोगिंद्र चौधरी व दयाल चंद ने कहा कि वो प्रशासन के इस फैसले से खुश नहीं हैं।

उन्होंने बताया कि अभी तक सीमा पर हालत पूरी तरह ठीक नहीं हैं। एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने परगवाल में गोलीबारी की है। हालांकि वहां भी फ्लैग मीटिंग कर शांति बनाए रखने को कहा गया था।

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