गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन होगा देवी कमला का पूजन, जानें मां का स्वरूप, महत्व, विधि, लाभ और कथा

गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी कमला का पूजन किया जाता है। जानें विधि, मंत्र, कथा और पूजा का फल।

WD Feature Desk
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025 (14:30 IST)
Navratri February 2025: मां कमला, दस महाविद्याओं में से अंतिम महाविद्या हैं। इन्हें कमलात्मिका भी कहा जाता है। मां कमला को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में मां कमला का पूजन विशेष रूप से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि का पर्व एक वर्ष में 4 बार आता है, जिसमें 2 प्रकट और 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं। अभी गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है और इसका समापन 7 फरवरी 2025, शुक्रवार को होगा और इस दिन गुप्त नवरात्रि की आखिरी देवी मां कमला का पूजन किया जाएगा।ALSO READ: माघ मास की गुप्त नवरात्रि की कथा
 
आइए जानते हैं यहां मां कमला देवी के बारे में...
 
मां कमला की पूजा का महत्व: गुप्त नवरात्रि में देवी कमला की साधना करने वाले व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है। यह पूजा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बढ़ाती है। मां कमला की पूजा करने से व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा सभी प्रकार के भय दूर होते हैं साथ ही वशीकरण शक्ति भी प्राप्त होती है। अत: गुप्त नवरात्रि में मां कमला की पूजा को नियमित रूप से करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह एक समृद्ध और खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।ALSO READ: माघ गुप्त नवरात्रि पर जानें महत्व, विधि और 10 खास बातें
 
मां कमला का स्वरूप कैसा है : मां कमला, जिन्हें कमला देवी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में पूजी जाने वाली एक प्रमुख देवी हैं। वे धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। मां कमला, मां लक्ष्मी का ही एक स्वरूप हैं, और उनकी पूजा का विशेष महत्व है। मां कमला का स्वरूप अत्यंत ही सुंदर और आकर्षक है। वे कमल के आसन पर विराजमान हैं और चार भुजाओं वाली हैं। उनके हाथों में कमल का फूल, अंकुश, अभय मुद्रा और वरद मुद्रा होती है। वे स्वर्ण आभूषणों से सजी हुई हैं और उनके चेहरे पर दिव्य तेज होता है।
 
पूजा विधि:
1. गुप्त नवरात्रि में अंतिम महाविद्या के पूजन के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां कमला की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
3. प्रतिमा के सामने धूप, दीप, और नैवेद्य रखें।
4. उन्हें लाल फूल, कुमकुम, अक्षत, आदि अर्पित करें।
5. उन्हें धूप और दीप दिखाएं।
6. फिर फल, मिठाई, और सूखे मेवे आदि का नैवेद्य चढ़ाएं।
7. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं नमः' या 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
8. मां कमला की कथा पढ़ें या सुनें।
9. अंत में आरती करें और मां से प्रार्थना करें।
 
मां कमला की पौरारिक कथा: एक समय की बात है, स्वर्गलोक में देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवता हार गए और असुरों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। देवतागण भयभीत होकर मां दुर्गा की शरण में गए। मां दुर्गा ने कमला का रूप धारण करके असुरों का वध किया और देवताओं को उनका राज्य वापस दिलाया।ALSO READ: माघ माह की गुप्त नवरात्रि में किस दिन करें कौनसी देवी की पूजा, जानिए 10 महाविद्याओं का रहस्य
 
गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा के लाभ: मां कमला की पूजा करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं...
• धन और समृद्धि में वृद्धि
• सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति
• आर्थिक कष्टों से मुक्ति
• सुख और शांति की प्राप्ति
• पारिवारिक खुशहाली आती है। 
 
धार्मिक मान्यतानुसार मां कमला की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है। यह पूजा व्यक्ति को सौभाग्य, सफलता, और सुख की प्राप्ति में मदद करती है। मां कमला की कृपा से व्यक्ति के जीवन के सभी आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति का जीवन खुशहाल बनता है।
 
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