कढ़ी पकौड़ी भोज के साथ अखाड़ों का महाकुंभ से प्रस्थान, ध्वजाओं की डोर ढीली करनी शुरू कर दी

महाकुंभ का मेला 26 फरवरी के स्नान के साथ संपन्न होगा, लेकिन महाकुंभ की शान 13 अखाड़ों के लिए पूरी तरह प्रस्थान करने का समय अब आ गया है।

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025 (12:11 IST)
Prayagraj Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ (Maha Kumbh) में अखाड़ों ने कढ़ी-पकौड़ी भोज (Kadhi Pakora feast) के साथ अपनी-अपनी ध्वजाओं की डोर ढीली करनी शुरू कर दी है। हालांकि महाकुंभ का मेला 26 फरवरी के स्नान के साथ संपन्न होगा, लेकिन महाकुंभ की शान 13 अखाड़ों के लिए पूरी तरह प्रस्थान करने का समय अब आ गया है।
 
कढ़ी-पकौड़ी के भोज के साथ महाकुंभ मेले से प्रस्थान प्रारंभ : महाकुंभ मेले के मुख्य आकर्षण अखाड़ों का बसंत पंचमी को अंतिम अमृत स्नान के बाद कढ़ी-पकौड़ी के भोज के साथ महाकुंभ मेले से प्रस्थान प्रारंभ हो गया है। इनमें सन्यासी (शिव के उपासक), बैरागी (राम और कृष्ण के उपासक) और उदासीन (पंच देव के उपासक) संप्रदाय के सभी 13 अखाड़े शामिल हैं।ALSO READ: Prayagraj Mahakumbh : 25000 आदिवासी लगाएंगे महाकुंभ में डुबकी, धर्म की रक्षा का लेंगे संकल्प
 
जहां बैरागी संप्रदाय के पंच निर्वाणी अखाड़े के करीब 150 साधु-संत बसंत पंचमी के अगले ही दिन कढ़ी-पकौड़ी भोज करके यहां से प्रस्थान कर चुके हैं, वहीं नागा सन्यासियों का जूना अखाड़ा सात फरवरी को कढ़ी-पकौड़ी भोज करके यहां से प्रस्थान करना शुरू करेगा।
 
जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि हमारे अखाड़े में 7 फरवरी को कढ़ी-पकौड़ी का भोज है जिसके बाद साधु-संत धर्म ध्वजा की तनी (रस्सी या डोर) को ढीला कर देंगे और यहां से प्रस्थान करना प्रारंभ कर देंगे।
 
महाशिवरात्रि तक प्रवास करेंगे : उन्होंने बताया कि यहां से साधु-संत काशी के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां वे महाशिवरात्रि तक प्रवास करेंगे और शोभायात्रा निकालकर काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद मसाने की होली खेलेंगे एवं गंगा में स्नान करेंगे। इसके बाद वे अपने अपने मठों और आश्रमों के लिए रवाना होंगे।ALSO READ: महाकुंभ में अध्यात्म का उपदेश दे रहे मुमताज अली, क्या पुनर्जन्म से जुड़ी है ये कहानी
 
श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि काशी में जूना के साथ ही आवाहन और पंचअग्नि अखाड़े के साधु-संत भी शोभा यात्रा निकालते हैं और मसाने की होली खेलकर और गंगा स्नान करके अपने अपने गंतव्यों के लिए रवाना होते हैं। उन्होंने बताया कि इसी तरह बैरागी अखाड़ों में कुछ साधु-संत अयोध्या चले जाते हैं और कुछ वृंदावन चले जाते हैं, जहां वे भगवान रामजी के साथ होली खेलते हैं, वहीं उदासीन और निर्मल अखाड़े के साधु-संत पंजाब (आनंदपुर साहिब) चले जाते हैं।
 
श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े से जुड़े अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने बताया कि हमारे अखाड़े में बसंत पंचमी के अगले दिन ही कढ़ी-पकौड़ी का भोज हो गया और करीब 150 साधु-संत मेला से प्रस्थान कर चुके हैं और लगभग 35 साधु-संत यहां रुके हैं। ठाकुरजी को यहां से उठाने के बाद धर्मध्वजा की तनी ढीली की जाएगी।ALSO READ: महाकुंभ में PM मोदी, रुद्राक्ष की माला पहनकर लगाई संगम में डुबकी
 
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के अध्यक्ष श्रीमहंत महेश्वर दासजी महाराज ने बताया कि हमारे अखाड़े में भी 7फरवरी को कढ़ी-पकौड़ी का कार्यक्रम होगा और धर्म ध्वजा उतारेंगे। इसके बाद संत-महात्मा यहां से प्रस्थान करेंगे। उन्होंने बताया कि यहां से संत-महात्मा प्रयागराज के कीडगंज स्थित अखाड़ा के मुख्यालय में जाएंगे, जहां वे शिवरात्रि तक रुकेंगे और इसके बाद भ्रमण पर निकल जाएंगे।ALSO READ: प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इन 5 जगहों के दर्शन अवश्य करें
 
माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि का स्नान आम श्रद्धालुओं के लिए : जूना अखाड़ा के श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि बसंत पंचमी के बाद माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि का स्नान आम श्रद्धालुओं के लिए होता है और अखाड़ों के साधु-संत इसके लिए महाकुंभ में नहीं रुकते इसलिए पूर्णमासी (माघी पूर्णिमा) से पहले सभी साधु-संत यहां से प्रस्थान कर जाएंगे।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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