गुप्त नवरात्रि में देवी मातंगी का पूजन, जानें कैसे करें?

WD Feature Desk
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025 (16:58 IST)
Gupt Navratri 2025: मां मातंगी, दस महाविद्याओं में से नौवीं महाविद्या हैं। वैशाख शुक्ल तृतीया यानि अक्षय तृतीया पर माता की जयंती मनाई जाती है। इन्हें उच्छिष्ट चांडालिनी के नाम से भी जाना जाता है। दस तांत्रिक देवियों में शामिल यह माता हिन्दू देवी मां का ही एक रूप हैं। मां मातंगी को वाणी, संगीत और कला की देवी माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में मां मातंगी का पूजन विशेष रूप से वशीकरण, आकर्षण और सिद्धि प्राप्ति के लिए किया जाता है।ALSO READ: माघ गुप्त नवरात्रि पर जानें महत्व, विधि और 10 खास बातें

आइए यहां जानते हैं मां मातंगी के बारे में खास जानकारी... 
 
मातंगी माता का स्वरूप: मां मातंगी का स्वरूप श्याम वर्ण का है। वे मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती हैं और लाल वस्त्र धारण करती हैं। उनके चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक हाथ में वे वीणा धारण करती हैं, दूसरे हाथ में खड्ग, तीसरे हाथ में मुंड और चौथे हाथ से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। शिव की यह शक्ति असुरों को मोहित करने वाली तथा साधकों को अभिष्ट फल देने वाली है। धार्मिक मान्यतानुसार मतंग शिव का नाम है। सांसारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए लोग मातंगी देवी की पूजा करते हैं। 
 
मां मातंगी की पूजा का महत्व: मां मातंगी की पूजा करने से व्यक्ति को वाणी, संगीत और कला में सिद्धि प्राप्त होती है। उनकी कृपा से वशीकरण और आकर्षण शक्ति बढ़ती है। यह पूजा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाती है।

मां मातंगी की पूजा करने से व्यक्ति को वशीकरण शक्ति प्राप्त होती है साथ ही सभी प्रकार के भय दूर होते हैं। मां मातंगी की पूजा करने से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि में मां मातंगी की पूजा का विशेष महत्व है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को वाणी, संगीत, कला और सिद्धि की प्राप्ति होती है।ALSO READ: gupt navratri: गुप्त नवरात्रि की 3 देवियों की पूजा से मिलेगा खास आशीर्वाद
 
पूजा विधि:
 
1. गुप्त नवरात्रि में सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
2. मां मातंगी की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
 
3. उन्हें लाल फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
 
4. 'ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा' मंत्र का जाप करें।
 
5. मां मातंगी की कथा पढ़ें या सुनें।
 
6. अंत में मां मातंगी आरती करें 
 
7. मां से अपनी मनोकामना कहकर उसे पूर्ण करने की विनती करें।
 
मां मातंगी की कथा:
एक समय की बात है, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी भगवान शिव और माता पार्वती से मिलने कैलाश पर्वत गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ भोज्य सामग्री ले गए थे, जो उन्होंने भगवान शिव को भेंट की। जब भगवान शिव और माता पार्वती, भगवान विष्णु की भेंट स्वीकार कर रहे थे, तो उस दौरान भोजन का कुछ अंश धरती पर गिर गया। जिससे एक श्याम वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया जो कि मातंगी नाम से जानी गई।
 
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