गुप्त नवरात्रि की अष्टमी को करें ये 5 कार्य, जानिए महत्व

WD Feature Desk
सोमवार, 30 जून 2025 (09:58 IST)
Importance of Ashtami in Gupt Navratri: हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन देवी दुर्गा की महाशक्ति का प्रतीक माना जाता है और इस दिन किए गए कार्य विशेष फलदायी होते हैं। 2025 में, गुप्त नवरात्रि की अष्टमी 3 जुलाई 2025, गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर कौन से कार्य करें...ALSO READ: 26 जून से प्रारंभ होगी गुप्त नवरात्रि, जानें घट स्थापना के मुहूर्त, कैसे करें देवी आराधना और लग्नानुसार फल
 
गुप्त नवरात्रि के 8वें दिन करें ये 5 कार्य: 
 
1.  नारियल या लौंग का जोड़ा अर्पित करें: अष्टमी पर देवी को नारियल का जोड़ा या लौंग का जोड़ा अर्पित करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। एक जटा वाला नारियल लें और उस पर लाल चुनरी लपेटकर देवी को अर्पित करें। यह आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक हो सकता है। लौंग का जोड़ा अर्पित करने से भी देवी प्रसन्न होती हैं।
 
2. हवन (होम) और आहुति: अष्टमी के दिन हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। आप किसी योग्य पंडित से हवन करवा सकते हैं या स्वयं भी लघु हवन कर सकते हैं। हवन में दुर्गा सप्तशती के मंत्रों, देवी के बीज मंत्रों या नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' की आहुतियां दें। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।ALSO READ: गुप्त नवरात्रि पर अपनों को शेयर करें ये 5 शुभकामना संदेश
 
3. देवी बगलामुखी/ काली या भैरवी साधना: गुप्त नवरात्रि की अष्टमी रात्रि को शक्ति की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तांत्रिकों द्वारा इस रात देवी भैरवी, काली या तारा की साधना की जाती है। साथ ही यह दिन देवी बगलामुखी की साधना का विशेष महत्व हैं, अत: अष्टमी तिथि पर 'ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा:।' मंत्र जाप करके माता की कृपा प्राप्त की जा सकती है।यह साधना सिद्धि, शक्ति और आध्यात्मिक जागरण का माध्यम बनती है। यदि आप माता को प्रसन्न करना चा‍हते हैं तो योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही यह साधना करें।)
 
4. शत्रु नाश और बाधा मुक्ति हेतु विशेष हवन तथा कन्या पूजन : यदि जीवन में निरंतर बाधाएं आ रही हैं, तो गुप्त नवरात्रि की अष्टमी के दिन चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से हवन करें। इससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और शत्रु शांत होते हैं। साथ ही गुप्त नवरात्रि की अष्टमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 9 छोटी कन्याओं (2 से 10 वर्ष की आयु तक) और एक बालक भैरव के रूप में को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें उपहार देकर पैर छूकर आशीर्वाद लें। ऐसा करने से देवी दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।ALSO READ: गुप्त नवरात्रि में कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए?
 
5. दान-पुण्य और ज़रूरतमंदों की सहायता: गुप्त नवरात्रि की अष्टमी पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अपनी क्षमता अनुसार गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। गाय को चारा खिलाना या पक्षियों को दाना डालना भी पुण्यकारी माना जाता है। ऐसा करने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपके जीवन की परेशानियां कम होती हैं।
 
इन कार्यों को श्रद्धा और भक्ति भाव से करने पर गुप्त नवरात्रि की अष्टमी का पूरा फल प्राप्त होता है और देवी मां आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
 
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