इस नव संवत्सर के राजा शनि हैं, देश के लिए कैसा है उनका मंत्रि‍मंडल

Webdunia
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019 (13:31 IST)
6 अप्रैल 2019, शनिवार से विक्रम संवत् 2076 का आरंभ होगा। इसे 'परिधावी' नामक संवत् के नाम से जाना जाएगा। इस वर्ष संवत् के राजा शनि होंगे और मंत्री सूर्य होंगे। वर्ष के राजा शनि होने से राष्ट्र में विरोधाभास की स्थिति बनी रहने वाली है। इस समय मौसम का प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिल सकता है।
 
लोगों के मध्य द्वेष और विवाद की स्थिति भी देखने को मिल सकती है। विरोधी देशों के मध्य टकराव और युद्ध जैसी स्थितियां उभर सकती हैं। अकाल, बाढ़ अथवा प्राकृतिक प्रकोप का असर भी रह सकता है। इस संवत् में ग्रहों को निम्न अधिकार मिले हैं जिसके अनुरूप यह पूरा वर्ष प्रभावित रहेगा।
 
आइए जानते हैं नव संवत्सर के बारे में
संवत् का राजा शनि होने से इस वर्ष देश की स्थिति थोड़ी अनियंत्रित-सी हो सकती है। कुछ पारस्परिक विरोध और द्वेष की स्थिति देश में देखी जा सकती है। राजनेताओं के मध्य भी स्थिति असंतोषजनक होगी। एक-दूसरे पर आक्षेप और टकराव के मौके कोई भी नहीं छोड़ना चाहेगा। प्राकृतिक रूप से भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। बाढ़ एवं सूखे की समस्या देश के कई राज्यों को प्रभावित करेगी। किसी रोग के कारण अस्थिरता व भय का माहौल भी होगा।
 
मंत्री स्वामी सूर्य होने से राजनीतिक क्षेत्र में हलचल बढ़ जाती है। केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य विवाद अधिक देखने को मिल सकता है। आर्थिक क्षेत्र अच्छा रहता है। धन-धान्य में वृद्धि होती है। सरकारी नीतियां कठोर हो सकती हैं। इस समय बाजार में मूल्यों में वृद्धि भी देखने को मिल सकती है।
 
सस्येश का स्वामी मंगल होने से स्थिति में थोडी परेशानी रह सकती है। अनाज महंगा हो सकता है। पशुओं में कुछ रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इस समय पर मौसम की प्रतिकूलता के चलते खेती को नुकसान हो सकता है।
 
मेघेश का स्वामी शनि होने से कहीं अधिक वर्षा तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ सकता है। इस कारण जान-माल का नुकसान भी हो सकता है। राज्य में नियमों की कठोरता के कारण लोगों के मन में चिंता और विरोध की स्थिति भी पनपेगी। बीमारी का प्रभाव लोगों पर जल्द असर डाल सकता है।
 
धान्येश का स्वामी चंद्रमा होने से रसदार वस्तुओं में वृद्धि देखने को मिल सकती है। चावल व कपास की खेती अच्छी हो सकती है। दूध के उत्पादन में भी तेजी आएगी। तालाब, नदियों में जलस्तर की स्थिति अच्छी रहने वाली है।
 
रसेश का स्वामी गुरु होने से संसाधनों की वृद्धि होगी। आर्थिक रूप से संपन्न लोगों के लिए समय और अनुकूल रह सकता है। फल और फूलों की पैदावार भी अच्छी होगी। विद्वान और ब्राह्मण व्यक्तियों को उचित सम्मान भी प्राप्त हो सकेगा।
 
नीरसेश का स्वामी मंगल होने से नीरसेश अर्थात धातुएं इनका स्वामी मंगल के होने से माणिक्य, मूंगा पुखराज इत्यादि में महंगाई देखने को मिल सकती है। गर्म वस्त्र, चंदन लाल रंग की वस्तुएं तांबा, पीतल में तेजी देखने को मिलेगी।
 
फलेश का स्वामी शनि होने से फल की तादाद में कमी रह सकती है। इस समय वृक्षों पर फूल कम लग पाएंगे। इस कारण फलों का उत्पादन भी कम होगा। पर्वतीय स्थलों पर मौसम की अनियमितता के कारण अधिक परेशानी झेलनी पड़ सकती है। 
 
धनेश का स्वामी मंगल होने से महंगाई की मार अधिक रहने वाली है। व्यापार से जुड़ीं वस्तुओं में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहने वाली है। इस समय देश में आर्थिक स्थिति और अनाज उत्पादन में अनियमितता के कारण परेशानी अधिक रह सकती है।
 
दुर्गेश का स्वामी शनि होने से अराजकता से निपटने के लिए कठोर नियमों का सहारा लिया जा सकता है। इस समय जातीय व सांप्रदायिक मतभेद भी उभरेंगे। पशुओं या कीट इत्यादि द्वारा फसल व कृषि को नुकसान भी पहुंच सकता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Vastu Tips : घर बनाने जा रहे हैं तो जानें कि कितना बड़ा या किस आकार का होना चाहिए

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Politicians zodiac signs: राजनीति में कौनसी राशि के लोग हो सकते हैं सफल?

वैशाख मास में दान देने का है खास महत्व, जानें किन चीज़ों का करते हैं दान

Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Aaj Ka Rashifal: इन 3 राशियों के रुके कार्य होंगे पूरे, जानें बाकी राशियों के लिए कैसा रहेगा 27 अप्रैल का दिन

कुंडली मिलान में नाड़ी मिलान क्यों करते हैं?

27 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

27 अप्रैल 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख