3 जुलाई 2019 : गुप्त नवरात्रि आरंभ, पढ़ें वे बातें जो जानना जरूरी हैं...

Webdunia
गुप्त नवरात्र क्या है
 
श्री दुर्गा सप्तशती में कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक पढ़कर ही अध्याय का पाठ होता है। कीलकम् विशेष है। कीलकम् में कहा जाता है कि भगवान शंकर ने बहुत सी विद्याओं को गुप्त कर दिया। यह विद्या कौन सी हैं? प्रसंग सती का है। भगवान शंकर की पत्नी सती ने जिद की कि वह अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहां अवश्य जाएंगी। 
 
प्रजापति ने यज्ञ में न सती को बुलाया और न अपने दामाद भगवान शंकर को। शंकर जी ने कहा कि बिना बुलाए कहीं नहीं जाते हैं। लेकिन सती जिद पर अड़ गईं। सती ने उस समय अपनी दस महाविद्याओं का प्रदर्शन किया। उन्होंने सती से पूछा- 'कौन हैं ये?' सती ने बताया,‘ये मेरे दस रूप हैं। सामने काली हैं। नीले रंग की तारा हैं। पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में धूमावती, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम-उत्तर में मातंगी तथा उत्तर-पूर्व में षोड़शी हैं। मैं खुद भैरवी रूप में अभयदान देती हूं। 
 
इन्हीं दस महाविद्याओं के साथ देवी भगवती ने असुरों के साथ संग्राम भी किया। चंड-मुंड और शुम्भ-निशुम्भ वध के समय देवी की यही दश महाविद्या युद्ध करती रहीं। दश महाविद्या की आराधना अपने आंतरिक गुणों और आंतरिक शक्तियों के विकास के लिए की जाती है। यदि अकारण भय सताता हो, शत्रु परेशान करते हों, धर्म और आध्यात्म में मार्ग प्रशस्त करना हो, विद्या-बुद्धि और विवेक का परस्पर समन्वय नहीं कर पाते हों, उनके लिए दश महाविद्या की पूजा विशेष फलदायी है।
 
गुप्त नवरात्रि में की जाती हैं तांत्रिक साधानाएं
 
गुप्त नवरात्र के दिनों में तांत्रिक साधनाएं की जाती हैं। इस नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं। गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। इस साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती है।
 
नवरात्रि में की जाती है इन नौ देवियों की पूजा
 
नवरात्रि के पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। इन नौ देवियों के साथ ही दस महाविद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है। ये हैं दस महाविद्या काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।
 
कुछ चीजें गुप्त होती हैं तो कुछ प्रगट। शक्ति भी दो प्रकार की होती है। एक आंतरिक और दूसरी बाह्य। आंतरिक शक्ति का संबंध सीधे तौर पर व्यक्ति के चारित्रिक गुणों से होता है। कहते हैं कि हम क्या है, यह हम ही जानते हैं। दूसरा रूप वह है जो सबके सामने है। हम जैसा दिखते हैं, जैसा करते हैं, जैसा सोचते हैं और जैसा व्यवहार में दिखते हैं। यह सर्वविदित और सर्वदृष्टिगत होता है। लेकिन हमारी आंतरिक शक्ति और ऊर्जा के बारे में केवल हम ही जानते हैं। 
 
आंतरिक ऊर्जा या शक्ति को दस रूपों में हैं। साधारण शब्दों में इनको धर्म, अर्थ, प्रबंधन, प्रशासन, मन, मस्तिष्क, आंतरिक शक्ति या स्वास्थ्य, योजना, काम और स्मरण के रूप में लिया जाता है। हमारे लोक व्यवहार में बहुत सी बातें गुप्त होती हैं और कुछ प्रगट करने वाली। यही शक्तियां समन्वित रूप से महाविद्या कही गई हैं। गुप्त नवरात्र दस महाविद्या की आराधना का पर्व है।
 
आमतौर पर नवरात्र को हम दो ही चरणों में मनाते और पूजते हैं। एक चैत्र और दूसरे आश्विन। लेकिन दो नवरात्र और होते हैं आषाढ और माघ मास में। आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 3 जुलाई से प्रारम्भ हो हैं। नवरात्रि में जहां भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना होती है, वहां, गुप्त नवरात्र में देवी की दस महाविद्या की आराधना होती है। गुप्त नवरात्र की आराधना का विशेष महत्व है और साधकों के लिए यह विशेष फलदायक है।  
 
दस महाविद्या और गुप्त नवरात्र
 
चैत्र और शारदीय नवरात्र की तुलना में गुप्‍त नवरात्र में देवी की साधाना ज्‍यादा कठिन होती है।  इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्‍त रूप से की जाती है इसलिए इन्‍हें गुप्‍त नवरात्र कहा जाता है। इन नवरात्र में मानसिक पूजा का महत्व है। वाचन गुप्त होता है। लेकिन सतर्कता भी आवश्यक है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि गुप्त नवरात्र केवल तांत्रिक विद्या के लिए ही होते हैं। इनको कोई भी कर सकता है लेकिन थोड़ी सतर्कता रखनी आवश्यक है। दश महाविद्या की पूजा सरल नहीं।
 
कालीकुल और श्री कुल
 
जिस प्रकार भगवान शंकर के दो रूप हैं एक रुद्र ( काल-महाकाल) और दूसरे शिव, उसी प्रकार देवी भगवती के भी दो कुल हैं- एक काली कुल और श्री कुल। काली कुल उग्रता का प्रतीक है।
 
काली कुल में महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता और भुवनेश्वरी हैं। यह स्वभाव से उग्र हैं। श्री कुल की देवियों में महा-त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला हैं। धूमावती को छोड़कर सभी सौंदर्य की प्रतीक हैं।
 
नवरात्र और गुप्त नवरात्र की देवियां
 
नौ दुर्गा : 1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कुष्मांडा, 5. स्कंदमाता, 6. कात्यायनी, 7. कालरात्रि, 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री।
दस महा विद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।
 
दस महाविद्या किसकी प्रतीक
 
काली ( समस्त बाधाओं से मुक्ति)
तारा ( आर्थिक उन्नति)
त्रिपुर सुंदरी ( सौंदर्य और ऐश्वर्य)
भुवनेश्वरी ( सुख और शांति)
छिन्नमस्ता ( वैभव, शत्रु पर विजय, सम्मोहन)
त्रिपुर भैरवी ( सुख-वैभव, विपत्तियों को हरने वाली)
धूमावती ( दरिद्रता विनाशिनी)
बगलामुखी ( वाद विवाद में विजय, शत्रु पर विजय)
मातंगी (  ज्ञान, विज्ञान, सिद्धि, साधना )
कमला ( परम वैभव और धन)
 
आराधना मंत्र
 
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दश महाविद्या: सिद्धविद्या: प्राकृर्तिता।
एषा विद्या प्रकथिता सर्वतन्त्रेषु गोपिता।।

ALSO READ: गुप्त नवरात्र : 3 जुलाई से देवी पूजा के 9 विशेष दिन आरंभ, जानिए कैसे करें पूजन
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Makar Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मकर राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख