शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 से, जानिए मां दुर्गा के 9 स्वरूप और 9 पौराणिक तथ्य

Webdunia
शारदीय नवरात्रि का पर्व इस बार 26 सितंबर से आरंभ हो रहा है। 9 दिनों तक मां के अलग - अलग स्वरूपों की पूजा होती है। 9 देवियों को अलग-अलग तरह से भोग लगाया जाता है। गौरतलब है 9 देवियां मां दुर्गा के रूप है। नवरात्रि में स्थापना के दौरान विशेष ख्याल रखना होता है। आइए जानते हैं नौ देवियां कौन-सी है और 9 देवी से जुड़े पौराणिक तथ्य 
 
नौ देवी : 1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री।
 
9 पौराणिक तथ्य :
1. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
 
2. ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था।
 
3. चंद्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चन्द्र के आकार का तिलक है।
 
4. उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं इसलिए कूष्मांडा कहलाती हैं।
 
5. उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं।
 
6. यज्ञ की अग्नि में भस्म होने के बाद महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। कहते हैं कि कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था इसलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं। इनका एक नाम तुलजा भवानी भी है। 
 
7. मां पार्वती देवी काल अर्थात हर तरह के संकट का नाश करने वाली हैं इसीलिए कालरात्रि कहलाती हैं।
 
8. माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं।
 
9. जो भक्त पूर्णत: उन्हीं के प्रति समर्पित रहता है उसे वे हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख