Skandamata ki Katha: नवदुर्गा नवरात्रि की चतुर्थी की देवी मां स्कंदमाता की कथा कहानी

WD Feature Desk
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024 (15:50 IST)
Skandamata devi ki katha: 9 दिनों तक चलने वाली चैत्र या शारदीय नवरात्रि में नवदुर्गा माता के 9 रूपों की पूजा होती है। माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में चौथे दिन चतुर्थी की देवी है माता स्कंदमाता। नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। आओ जानते हैं माता स्कंदमाता देवी की पावन कथा क्या है।
 
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
ALSO READ: Kushmanda ki Katha: नवदुर्गा नवरात्रि की चतुर्थी की देवी मां कूष्मांडा की कथा कहानी
देवी का स्वरूप : नवरात्रि में पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इन देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।
ALSO READ: Chandraghanta ki katha: नवदुर्गा नवरात्रि की तृतीया देवी मां चंद्रघंटा की कथा कहानी
मां स्कंदमाता की कथा कहानी- Navratri 2024 Fifth Day Maa Skandmata ki katha Story:
 
पुराणों की कथा के अनुसार धरती पर तारकासुर का आतंक था। उसने देवलोक पर भी कब्जा कर लिया था। सभी देवता ब्रह्मा जी की शरण में गए तो उन्होंने कहा कि शिवपुत्र ही इसका अंत कर सकेगा। फिर शिवजी की तपस्या भंग की गई और बाद में माता पार्वती का शिवजी से विवाह हुआ। फिर माता पार्वती को एक पुत्र हुआ जिसका नाम स्कंद रखा गया जिसका दूसरा नाम कार्तिकेय भी था।

माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप धारण किया और उन्होंने उन्हें अस्त्र शस्त्र विद्या सिखाई। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर के साथ युद्ध किया और बाद में उनका अंत किया था। स्कंदमाता को इन नामों से भी जाना जाता है। स्कंदमाता, हिमालय की पुत्री पार्वती हैं। इन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
ALSO READ: Shailputri ki katha: नवदुर्गा नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री की कथा कहानी

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Buddha purnima 2024: भगवान बुद्ध के 5 चमत्कार जानकर आप चौंक जाएंगे

Buddha purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा शुभकामना संदेश

Navpancham Yog: सूर्य और केतु ने बनाया बेहतरीन राजयोग, इन राशियों की किस्मत के सितारे बुलंदी पर रहेंगे

Chankya niti : करोड़पति बना देगा इन 4 चीजों का त्याग, जीवन भर सफलता चूमेगी कदम

Lakshmi prapti ke upay: माता लक्ष्मी को करना है प्रसन्न तो घर को इस तरह सजाकर रखें

प्रसिद्ध बौद्ध धर्म तीर्थ सारनाथ का फेमस मंदिर

Mata lakshmi : माता लक्ष्मी ने क्यों लिया था एक बेर के पेड़ का स्वरूप, जानकर चौंक जाएंगे

Buddh purnima 2024 : गौतम बुद्ध के जन्म की 5 रोचक बातें

Hanuman chalisa: यदि इस तरह से पढ़ते हैं हनुमान चालीसा तो इसका नहीं मिलेगा लाभ

Aaj Ka Rashifal: व्यापार, नौकरी, निवेश में किसे मिलेगा लाभ, जानें 21 मई का राशिफल

अगला लेख