Dharma Sangrah

मनोकामना पूर्ति हेतु नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा की आराधना, पढ़ें नौ दिन के मंत्र

Webdunia
प्रत्येक युग में 9 देवियां अलग-अलग होती हैं। यह एक वृहद विषय है जिसका उल्लेख यहां संभव नहीं है। शीघ्र सिद्धि के लिए नियत जप-पूजन इत्यादि आवश्यक है। इससे भी अधिक आवश्यक है श्रद्धा व विश्वास।

कलियुग में प्रत्येक‍ दिन की देवियां अलग-अलग अधिष्ठात्री हैं जिनकी साधना से कामना-पूर्ति अलग-अलग है, जो निम्न प्रकार से की जा सकती है।
 
1. माता शैलपुत्री : पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है। इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
 
प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें।
 
2. माता ब्रह्मचारिणी : माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप पार्वतीजी का तप करते हुए है। इनकी साधना से सदाचार-संयम तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पर इनकी साधना की जाती है।

 
द्वितिया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:', की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें।
 
3. माता चन्द्रघंटा : माता दुर्गा का यह तृतीय रूप है। समस्त कष्टों से मुक्ति हेतु इनकी साधना की जाती है।
 
तृतीया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें।
 
4. माता कूष्मांडा : यह मां दुर्गा का चतुर्थ रूप है। चतुर्थी इनकी तिथि है। आयु वृद्धि, यश-बल को बढ़ाने के लिए इनकी साधना की जाती है।

 
चतुर्थी को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें।
 
5. माता स्कंदमा‍ता : दुर्गा जी के पांचवे रूप की साधना पंचमी को की जाती है। सुख-शांति एवं मोक्ष को देने वाली हैं।
 
पांचवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमा‍तायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें।
 
6. मां कात्यायनी : मां दुर्गा के छठे रूप की साधना षष्ठी तिथि को की जाती है। रोग, शोक, संताप दूर कर अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को भी देती हैं।

 
छठे दिन मंत्र- 'ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें।
 
7. माता कालरात्रि : सप्तमी को पूजित मां दुर्गा जी का सातवां रूप है। वे दूसरों के द्वारा किए गए प्रयोगों को नष्ट करती हैं।
 
सातवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें।
 
8. माता महागौरी : मां दुर्गा के आठवें रूप की पूजा अष्टमी को की जाती है। समस्त कष्टों को दूर कर असंभव कार्य सिद्ध करती हैं।

 
आठवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:' की 1 माला जप कर घृत या खीर से हवन करें।
 
9. माता सिद्धिदात्री : मां दुर्गा के इस रूप की अर्चना नवमी को की जाती है। अगम्य को सुगम बनाना इनका कार्य है।
 
नौवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर जौ, तिल और घृत से हवन करें।
 
माता दुर्गा के किसी भी चि‍त्र की स्थापना कर यथाशक्ति पूजन कर, नियत तिथि को मंत्र जपें तथा गौघृत द्वारा यथाशक्ति हवन करें। तंत्र का नियम आदि किसी विद्वान व्यक्ति द्वारा समझकर करें। 
 
- पंडित उमेश दीक्षित

ALSO READ: नवरात्रि में करें सिर्फ ये 9 कार्य, आपके सभी मनोरथ होंगे पूर्ण, जानिए क्या खरीदें नवरात्रि में...

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Diwali Muhurat 2025: चौघड़िया के अनुसार जानें स्थिर लग्न में दीपावली पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Bhai dooj 2025: कब है भाई दूज? जानिए पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2025: अन्नकूट और गोवर्धन पूजा कब है, जानिए पूजन के शुभ मुहूर्त

Diwali Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार दिवाली पर कौन सी चीजें घर से निकालें तुरंत?, जानें 6 टिप्स

सभी देखें

धर्म संसार

19 October Birthday: आपको 19 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 19 अक्टूबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Kali chaudas: नरक चतुर्दशी की रात काली चौदस पर होता है त्रिशक्ति तंत्र, धन का मिलता है आशीर्वाद

Diwali 2025: जानिए सुहाग पड़वा का क्यों है इतना महत्व, उत्सव के इस अवसर पर भेजिए ये सुंदर शुभकामनाएं

Bhai dooj 2025: आरती की थाली मैं सजाऊं, कुमकुम और अक्षत से तिलक लगाऊं... इन संदेशों को भेजकर मनाइए भाईदूज का पर्व

अगला लेख