मोदी से पूछा गया था कि क्या वह ममता बनर्जी, जयललिता और मायावती जैसी उन ताकतवर क्षेत्रीय नेताओं से संपर्क साधने की कोशिश करेंगे जो चुनाव प्रचार के दौरान उनकी आलोचना करती रही हैं? पर चुनाव के नतीजे आने के बाद उन्हें (मोदी को) उनके समर्थन की जरूरत पड़ सकती है?
भाजपा नेता ने जवाब दिया, अब तक मुझे पूरा यकीन है कि भाजपा अपने मौजूदा गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल हासिल करने जा रही है। आपको यह याद रखना चाहिए कि हमारे पास अभी 25 से ज्यादा साझेदारों का एक बड़ा शक्तिशाली गठबंधन है।
मोदी ने कहा, हमें यकीन है कि हम सरकार चलाने का संख्याबल हासिल कर लेंगे। बहरहाल, हमें देश चलाने के लिए हर किसी के समर्थन और सहयोग की जरूरत पड़ेगी। भाजपा नेता ने पिछड़े मुसलमानों के लिए ओबीसी कोटे से जुड़े कांग्रेस के कदम के लिए उस पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह दरअसल वोट बैंक की राजनीति एवं चुनावों से पहले तुष्टीकरण की राजनीति करने की आखिरी कोशिश है।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस ऐसा वादा यह जानते हुए भी कर रही है कि उसे लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, मैं यह भी कहूंगा कि इससे उस पार्टी का असली ‘धर्मनिरपेक्ष’ चेहरा उजागर होता है जो धर्म के आधार पर वोट हासिल करने की मंशा रखती है।
लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे ज्यादा ध्रुवीकृत चुनाव...अगले पेज पर पढ़ें..
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा चुनाव प्रचार भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे ज्यादा ध्रुवीकृत है, मोदी ने कहा कि वह एक तरह से यह मानते हैं कि यह एक ध्रुवीकृत चुनाव है पर इस बार 'ध्रुवीकरण’ अलग तरह का है।
मोदी ने कहा, लोकतंत्र में ध्रुवीकरण स्वाभाविक है। यह स्वाभाविक है कि लोग अलग-अलग नजरिया रखें और अलग-अलग तरीके से वोट करें। अपने आप में यह कोई बुरी चीज नहीं है। ध्रुवीकरण किस तरह का हो रहा है, यह ज्यादा अहम है।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनाव में ध्रुवीकरण उनके बीच है जो विकास एवं अच्छे प्रशासन की समावेशी राजनीति में यकीन रखते हैं और वे जो वोट बैंक, जाति एवं धर्म की विभाजनकारी राजनीति में यकीन रखते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी लहर या कांग्रेस विरोधी लहर चल रही है, अथवा दोनों? मोदी ने जवाब में कहा, मैं समझता हूं दोनों। बहुत जोरदार कांग्रेस विरोधी लहर के साथ भाजपा और राजग के पक्ष में उतनी ही जोरदार लहर है।
इन चुनावों को असाधारण एवं अभूतपूर्व बताते हुए उन्होंने कहा कि संभवत: ऐसा पहली बार है कि एक जोरदार सत्ता विरोधी लहर के साथ परिवर्तन की भी उतनी ही मजबूत लहर चल रही है।
गोधरा घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बारे में किसी सवाल का जवाब देने से उन्होंने इनकार कर दिया लेकिन एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि उनके विरोधियों को उनके विरूद्ध भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद या अक्षमता के गंभीर आरोप नहीं मिल पा रहे हैं। (भाषा)