कश्मीर में दूसरे चरण के मतदान के लिए उल्टी गिनती शुरू

-सुरेश एस डुग्गर

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दूसरे चरण के मतदान के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस उल्टी गिनती का खास पहलू यह है कि आतंकी हिंसा पहले से ही जोर पकड़ चुकी है और अब हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा बुधवार के लिए घोषित सिविल कर्फ्यू और हुर्रियत की आम हड़ताल के आह्वान के बीच कल का मतदान सही मायनों में राज्य सरकार और चुनाव आयोग की अग्निपरीक्षा है।

हिजबुल मुजाहिदीन और हुर्रियत ने कल कश्मीर के बडगाम व श्रीनगर जिलों में सिविल कर्फ्यू की घोषणा की है। साथ ही घरों से बाहर निकलने वालों को गोली से उड़ा देने की धमकी भी दी है। हुर्रियत कांफ्रेंस भी पीछे नहीं है। उसने कल कश्मीर में आम हड़ताल का आह्वान किया है। दोनों का मकसद दूसरे चरण की मतदान प्रक्रिया को बाधित करना है।
नतीजतन दूसरे चरण के मतदान के लिए उल्टी गिनती आरंभ हो गई है। कल के चरण को महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है। असल में कश्मीर के जिन दो जिलों में कल मतदान होने जा रहा है, उन्हें आतंकी व हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है।

आतंकी धमकी का प्रभाव कश्मीर के इन दोनों जिलों में इतना है कि अगले 24 घंटे नाजुक भी माने जा रहे हैं। ऐसी आशंका प्रकट करने में सुरक्षाधिकारी सबसे आगे हैं, जो गुप्तचर सूत्रों द्वारा मुहैया करवाई गई रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहते हैं कि आतंकी कहर बरपा सकते हैं।

कल के ‘प्रलय’ दिवस पर आतंकी पूरी तैयारी में भी हैं। सेना के प्रवक्ता इसकी पुष्टि करते हुए पकड़े गए आतंकी संदेशों का हवाला देते हुए कहते हैं कि सीमा पार से मिले निर्देशों के मुताबिक आतंकी प्रत्येक मतदान केंद्र पर कम से कम एक-दो विस्फोट करने की तैयारी कर चुके हैं। सुरक्षाबल ऐसा नहीं होने देंगें। हमारी ओर से भी पूरी तैयारी है। अब यह कल का दिन बताएगा कि किसके बाजुओं में कितना दम है, मतदान के दिन सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले कश्मीर पुलिस के महानिरीक्षक कहते हैं।

हालांकि दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार कल शाम को ही समाप्त हो गया था लेकिन आतंकी प्रचार खत्म होने के बजाय तेज हुआ है। यही कारण है कि अब यह कयास लगने आरंभ हो गए हैं कि कल बडगाम और श्रीनगर में कितने लोग आतंकी चेतावनियों का उल्लंघन कर मतदान करने के लिए निकलेंगें, ऐसे में जबकि दोनों जिलों में सभी मतदान केंद्र संवेदनशील की श्रेणी में आते हैं।

स्थिति यह है कि कल के मतदान को लेकर श्रीनगर और बडगाम के जिलों में आतंकी माहौल गले की फांस बनता जा रहा है। आतंकी माहौल के कारण दोनों जिले दहशतजदा हैं, इसकी पुष्टि वे आतंकवादी घटनाएं भी करती हैं, जो पिछले एक सप्ताह से दोनों जिलों को अपने घेरे में लिए हुए थीं।

बकौल चुनाव आयोग के सूत्रों के, कल की अग्नि परीक्षा से अगर कश्मीर के मतदाता गुजर जाते हैं तो लोकतंत्र की सही विजय कश्मीर में मानी जाएगी। हालांकि तीसरे और चौथे चरण भी कम अग्नि परीक्षा वाले नहीं हैं, मगर श्रीनगर के राजधानी शहर में मतदान चुनाव आयोग के लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि श्रीनगर में होने वाली प्रत्येक घटना अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव दिखाती है। वे इसे भी मानते हैं कि कल की अग्निपरीक्षा अगले दो चरणों को भी प्रभावित करेगी।

आतंकी और हुर्रियती प्रयास और तेज हुए... अगले पन्ने पर..


प्रथम चरण के मतदान के दौरान हुर्रियती बहिष्कार को जो तथाकथित ‘सफलता’ मिली थी उसके बाद हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रयासों में और तेजी आई है और अब हुर्रियत कांफ्रेंस ने अपना सब कुछ दूसरे व तीसरे चरण के मतदान में दांव पर लगा दिया है, लेकिन इन सबके बावजूद कश्मीरी जनता द्वारा पिछले चुनावों में किए गए मतदान से एक प्रतिशत ज्यादा वोट डालकर और अगले चरणों के लिए की जाने वाली तैयारियों ने बता दिया है कि वे पाकिस्तानी चालों को समझते हैं और ‘आजादी’ के तथाकथित सपने की हकीकत उन्हें मालूम पड़ गई है।

आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान इन चुनावों से इतना तिलमिला उठा है कि उसने अपनी सेना के साथ-साथ अपने संचार माध्यमों को भी इस चुनाव विरोधी मुहिम में झोंक दिया है। नतीजतन पाक संचार माध्यम कश्मीरी मतदाताओं को इन चुनावों के प्रति खबरदार करने के साथ साथ उन्हें अब इस मतदान के लिए ‘सजा’ भुगतने की धमकी भी दे रहे हैं।

कश्मीर की जनता का सच्चा प्रतिनिधि होने का दावा करने वाली हुर्रियत के नेता भी अपनी चुनाव विरोधी मुहिम में जुटे हुए हैं। हालांकि वे खुलेआम अपनी इस मुहिम में गले-गले तक डूबे हुए हैं, यह सोचकर कि सरकार ने उन्हें चुनाव विरोधी मुहिम को बढ़ाने के लिए खुलेआम छूट दे रखी है। जबकि आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि उन्हें इतनी छूट नहीं दी गई है बल्कि जब प्रशासन महसूस करता है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है तो वे इन नेताओं को हिरासत में ले लेते हैं और हिंसा न फैले उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाता है।

इस सबके बावजूद कश्मीर में होने वाले चुनावों के विरोध में स्वर मुखरित करने वाली ताकतों (पाकिस्तान, आतंकी तथा हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं) की ओर से अपनी चुनाव विरोधी मुहिम को जारी रखे हुए हैं। पाक परस्तों द्वारा प्रत्याशियों पर कातिलाना हमले, मतदाताओं को डराने-धमकाने की मुहिम छेड़े हुए हैं।

इस बार जबरदस्ती मतदान के आरोपों की बौछार मतदाताओं द्वारा न किए जाने से यह स्पष्ट हुआ है कि आम मतदाता लोकतंत्र की बहाली के पक्ष में है क्योंकि कई सालों से चले आ रहे आतंकवाद के भयानक चेहरे की असल तस्वीर को अब पहचान चुका है। ‘आजादी के तथाकथित सपने की तस्वीर का दूसरा पहलू हमने अपने सगे-संबंधियों की मौतों के रूप में देखा है। हमें ऐसी आजादी नहीं चाहिए जो कब्रों के ढेर पर मिले, पट्टन का रहने वाला मुश्ताक गनई कहता है। इस आतंकवाद ने उसके कितने सगे-संबंधियों को उससे छीन लिया है, अब वह उनकी गिनती भी नहीं कर पाता है।

सिर्फ यही नहीं अभी तक का सबसे अधिक आतंकवादग्रस्त जिलों में भरे गए नामांकन पत्रों की भारी संख्या ने भी यह स्पष्ट किया है कि चाहे चुनाव विरोधी ताकतें कितनी भी जोरआजमाइश कर लें, वे लोकतंत्र की बहाली अवश्य करवाएंगें। यही संकेत प्रत्याशियों पर होने वाले हमलों से भी मिला है जिनके बावजूद भी प्रत्याशी मैदान में डटे हुए हैं।

सरकार के साथ कश्मीर समस्या के हल के लिए वार्ता के रास्ते रास्ता ढूंढने वाले कुछ उदारवादी हुर्रियती नेता भी इन चुनावों का विरोध कर रहे हैं जिनके मतानुसार कश्मीर समस्या का हल चुनाव नहीं है। हुर्रियत नेता अपनी मुहिम को सफल करार देते हुए कहते हैं कि आम कश्मीरी इन चुनावों की निरर्थकता को जानता है और वह सुरक्षाबलों के दबाव में ही मतदान कर रहा है, हुर्रियत नेता आरोप लगाते हैं।

ठीक इसी प्रकार के आरोप पाकिस्तान, उसके संचार माध्यम और उसके पिट्ठू आतंकी भी लगा रहे हैं। इस आरोप में कितनी सच्चाई है इसे आप ही कश्मीर के विभिन्न भागों का दौरा करके परखा जा सकता है। सनद रहे कि प्रथम चरण के मतदान के दौरान इस प्रकार का कोई आरोप इस बार आम नागरिकों की ओर से नहीं लगाया गया है।
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