रामविलास पासवान की मछली

-अनवर जे अशरफ, बॉन, जर्मनी

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मछली तो मैं शौक से खाता हूं लेकिन मछली का सिर मुझे पसंद नहीं है। पर रामविलास पासवानजी की वजह से मुझे एक नहीं मछली के दो सिर खाने पड़े।

साल 2009 में लोकसभा चुनाव थे और मैं डॉयचे वेले रेडियो के लिए भारत के आम चुनाव कवर कर रहा था। अपने घर यानी पटना में था और बॉस का आदेश था कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान का इंटरव्यू चाहिए। लालू और नीतीश के इंटरव्यू तो हो गए लेकिन रामविलासजी मछली की तरह बार-बार हाथ से निकल जाते थे।

आखिर एक दिन पता चला कि वह पटना में पार्टी मुख्यालय आ रहे हैं लेकिन रुकेंगे नहीं। मैं सुबह साढ़े छह बजे पहुंच गया। कर्ता धर्ता सब पहुंचे हुए थे। आखिर करीब 11 बजे रामविलास पासवानजी आए और उन्हें पता चला कि जर्मनी का कोई पत्रकार उन्हें बहुत दिन से खोज रहा है, तो अंदर बुलवा लिया।

शायद वे अपने घर वैशाली से आए थे, लिहाजा उन्हें भूख लगी थी। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू तो होता रहेगा, पहले खाना खाते हैं। साढ़े छह बजे से मैं भी भूखा था। फौरन मान गया, नहीं मानने का सवाल भी नहीं था। इंटरव्यू और बॉस के आदेश का दबाव था। सो मछली भात परोसा गया। शायद रामविलास पासवान जी को मछली का सिर बहुत पसंद है। खाना परोसने वालों ने एकरूपता बनाए रखने के लिए एक सिर उनकी थाली में डाला, एक सिर मेरी थाली में। मैं सकपका गया, लेकिन करता क्या। किसी तरह निपटाने के लिहाज से जल्दी जल्दी खा गया।

रामविलासजी ने जब देखा कि मैं पूरा सिर खा गया हूं, तो फौरन आदेश जारी किया, 'ए, एगो और मुड़ी दो इनको...' अब मुझे काटो तो खून नहीं, कैसे कहूं कि मछली का सिर मुझे पसंद नहीं। कहता, तो इंटरव्यू ही निकल जाता। बहरहाल, दूसरा सिर धीमी गति की समाचार की तरह खाया कि कहीं तीसरा न पल्ले पड़ जाए। खाने के दौरान हम दोनों ने पानी पिया ही होगा और रामविलासजी ने पानी पी पी कर बीजेपी और मोदी को कोसा ही होगा।

खाने के बाद इंटरव्यू हुआ और बहुत अच्छा हुआ। आज जब उसकी रिकॉर्डिंग सुन रहा था, तो सोच रहा था आखिर क्या वजह रही होगी कि रामविलास पासवानजी एक बार फिर बीजेपी का दामन थाम बैठे हैं। तब तो ऐसे भड़के थे कि यहां तक कह गए थे, 'एनडीए में शामिल होना ऐतिहासिक भूल थी और दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी..' तब वेबदुनिया ने भी इस खबर को छापा था।

पढ़ें : एनडीए से अलग होने के बाद क्या कहा था पासवान ने...

इसका विश्लेषण नहीं करूंगा क्योंकि जर्मनी में रहते हुए भारत के चुनाव का विश्लेषण वैसा ही होगा, जैसा धरती पर बैठ कर मंगल का तापमान बताना। आज जब रामविलास पासवानजी एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं, तो सियासी उठापटक से दूर मुझे मछली के सिर बहुत याद आ रहे हैं। बिहार और बंगाल में मछली के सिर को खास खाना माना जाता है और वैसे मुझे भी मछली पसंद है।

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