लघु गीत : पहाड़ी नदी

- कमला निखुर्पा

Webdunia
तांक ा
GN

पहाड़ी नदी है
अल्हड़ किशोरी
कभी मचाए
ये धमा चौकड़ी
तो कभी करें किल्लौल

पहाड़ी नदी
बहाती जीवनधारा
सींचे प्रेम से
तरु की वल्लरियां वन औ उपवन

पहाड़ी नदी है अजब पहेली
कभी डराए हरहरा कर ये
जड़ें उखाड़ डालें
तटों से खेले ं
ये अक्कड़-बक्कड़
छूकर भागे, तरु क े तिनके को
आंख मिचौली खेले

आईना दिखा
बादलों को चिढ़ाए
कूदे पहन मोतियों का लहंगा
झरना बन जाए

बहती चली
भोली अल्हड़ नदी
छूटे पहाड़ छूटी घाटियां पीछे
सबने दी विदाई
चंचल नदी
भूली है चपलता
गति मंथर
उड़ गई चूनर
फैला पाट-आंचल

पहाड़ी बनी
पहुंची सिंधु तट
कदम रखे संभल-संभल के
थकी मीलों चमके

पहाड़ी नदी
बन जाती भक्तिन
बसाए तीर्थ
तटों पर पावन
भक्त भजन गाए

दीपों से खेले
लहरा कर बांहें
कहे तारों से
आ जाओ मिलकर
खेलेंगे होड़ा-होड़ी!

तांका का अर्थ है लघु गीत (यह आठवीं शताब्दी का पांच पंक्तियों का जापानी छंद है, जिसमें 5-7-5 -7-7 = 31 वर्ण होते हैं।)
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

सर्दियों में सेहत और स्वाद का खजाना है मक्के की राब, पीने से मिलते हैं ये फायदे, जानें रेसिपी

सर्दियों में रोजाना पिएं ये इम्यूनिटी बूस्टर चाय, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

ज्यादा मूंगफली खाना क्या लिवर के लिए है नुकसानदायक, जानिए सच्चाई

क्या सच में खाली पेट कार्डियो से जल्दी कम होती है चर्बी? क्या है इस दावे की सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

Republic Day essay: 26 जनवरी पर निबंध

कब मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस, जानें इतिहास, महत्व और 2025 की थीम

पोप की 'होप', फ्रांसिस की उत्कट इच्छा, जो अब तक अपूर्ण ही रही

जानिए ठंडी हवाओं और रूखे मौसम का बालों पर कैसा असर पड़ता है? सर्दियों में लंबे बालों की देखभाल क्यों है जरूरी?

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बेहतरीन कविता : बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ