प्रवासी कविता : निशब्दोमा संगीतंगमय

- डॉ. शिव गौतम

Webdunia
GN

एक रात को

अगर

दो दिनों के

उजालों ने

अपने बीच में

कैद

नहीं किया होता

तो

यहां चारों ओर

अंधेरा ही अंधेरा होता

मुझे अंधकार से रोशनी की ओर

ले चलो

तमसो मा ज्योतिर्गमय

जीवन ने

अगर

मौत के टुकड़े-टुकड़े करके

दिल की दो धड़कनों की

दीवारों के बीच

एक-एक करके उन टुकड़ों को

बंद नहीं कर दिया होता तो

यहां चारों ओर

मौत का मातम छाया होता।

मुझे मृत्यु से अमरता की ओर

ले चलो

मृत्योर्मा अमृतंगमय

खामोशी के एक टुकड़े को

अगर

संगीत के दो स्वरों ने

अपने बीच

कैद नहीं किया होता तो

यहां चारों ओर सिर्फ

सुनसान होता

यहां चारों ओर

खौफनाक चुप्पी होती

मुझे खामोशी से संगीत की ओर

ले चलो

निशब्दोमा संगीतंगम य।

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स

क्या होता है Nyctophobia, कहीं आपको तो नहीं हैं इसके लक्षण?

चेहरे पर रोज लगाती हैं फाउंडेशन? हो सकती हैं ये 7 स्किन प्रॉब्लम

अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे

रोज लगाते हैं काजल तो हो जाएं सावधान, आंखों में हो सकती हैं ये 5 समस्याएं