प्रवासी साहित्य : ओ कोटि कोटि प्राची...

Webdunia
सोमवार, 22 सितम्बर 2014 (12:43 IST)
- विजय कुमार सिंह 

 
ओ कोटि कोटि प्राची के जन 
भारत की संतति ओ महान
फिर से खोलो रे रुद्ध कंठ
गाओ फिर से रे साम् गान।
 
उठो-उठो फिर से जागो
अपनी निद्रा आलस्य त्याग
गूंजे फिर से इस अम्बर में
जय-जय हे का तुमलनाद।
 
फिर से हर मन में हर्ष भरे
स्पंदित हों फिर सभी प्राण
फिर से खोलो से रुद्ध कंठ
गाओ फिर से रे साम् गान।
 
जगने दो फिर स्मृतियों में
आदर्श भरा स्वर्णिम अतीत
जाने दो अब तो घना तिमिर
युग युग से ठहरी है निशीथ।
 
मन फिर से नव आलोक भरे
उग आए क्षि‍तिज में अंशुमान
फिर से खोलो रे रुद्ध कंठ
गाओ फिर से रे साम् गान।
 
भर दो फिर से इस पतझड़ में
तुम पल्लव पुष्पित नव बसंत
फैला दो फिर से सुरभि नई
हो जाए सुरभित दिग्-दिगंत।
 
छू लो फिर गौरव तुंग शिखर
रच डालो फिर नव कीर्तिमान
फिर से खोलो रे रुद्ध कंठ
गाओ फिर से रे साम् गान।
साभार- गर्भनाल 
 
Show comments

खाने में नमक की जगह मिलाएं ये चीज़ें, ब्लड प्रेशर भी रहेगा कम

क्या होता है डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर? जानें बच्चों में दिखाई देने वाले इसके लक्षण

नन्ही-सी राजकुमारी के लिए चुनिए यूनीक और मीनिंगफुल नाम

आपकी दिनचर्या में दिखते हैं डायबिटीज के ये 8 लक्षण, जानें बचाव के उपाय

क्यों बुखार आने पर बच्चों के पैरों में होता है दर्द? जानिए इसका कारण और समाधान

पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनसेंग का सेवन, जानें 10 फायदे

पुरुष Intimate Hygiene के लिए फॉलो करें ये 5 टिप्स, नहीं होगा कोई संक्रमण

10 दिन के अंदर काटते रहें बच्चे के नाखून वरना हो सकते हैं ये 5 नुकसान

मत विभाजन का रुकना 2024 में महत्वपूर्ण निर्णायक मुद्दा है!

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है Puppy Yoga, जानें इसे करने का सही तरीका