प्रवासी साहित्य : मेरा हाथ और मेरा ईश्वर

- श्रीमती आशा त्रिपाठी

Webdunia
GN


मैं सुबह उठी-
देखा रोशनदान से
धूप दीवार तक आ गई थी।

दीवार और रोशनदान के
बीच की कड़ी में विचरते
धूल के कणों की भीड़
डॉल्टन के सिद्धांत को
प्रमाणित कर रही थी।

भौतिकी की किताब
हाथ में ही रखी थी
जिसे पढ़ते-पढ़ते
रात को नींद आ गई थी।

मां बोली-
अपना हाथ देखो
ईश्वर का नाम लो
मैं मुस्कराई
साथ ही बुदबुदाई,
भौतिकी ही मेरा हाथ है
और...
डॉल्टन के इस कण में ही
मां!
मेरे ईश्वर का वास है।

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार

प्राइमरी टीचिंग में करियर बनाएं

वरुण धवन की फिटनेस का राज़ हैं ये 5 Detox Drinks, ऐसे करें अपनी डाइट में शामिल

खीरे के छिलकों से बनाएं ये हेयर मास्क, बाल बनेंगे मुलायम और खूबसूरत