15 अगस्त : आजादी के दीवानों को समर्पित कविता

देवयानी एस.के.
Independence Day Poem
 
एक दीवाना था
सनसनाती बिजलियों को मस्ती में छेड़ा था
तूफ़ानों की बांहों को कस के मरोड़ा था
तमतमाते शोलों को हाथों में सजाया था
मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था
 
आंधियों के बवंडर से अभिमन्यु सा भिड़ा था
खून से लथपथ था परंतु सीना रखा चौड़ा था
खौले समंदर में कश्ती को धकेला था
मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था
 
जलजलों के उथल-पुथल में जजीरे सा खड़ा था
ज्वालामुखी की कगार पर पहाड़ सा डटा था
कोहरे की धुंध में दीप स्तंभ सा उजला था
मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था

 
लक्ष्य को पाने की जिद पर अड़ा था
चांद बटोरने ज्वार सा उमड़ा था
अपनी ही धुन में वह दीवाना चला था
मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था
मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

भारतीय सेना पर निबंध: शौर्य, पराक्रम और राष्ट्र सेवा की बेजोड़ मिसाल, जानिए भारतीय सेना की वीरता की महागाथा

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

क्या चीन के इस बांध ने बदल दी धरती की रफ्तार? क्या है नासा के वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

सिर्फ एक सिप भी बढ़ा सकता है अल्जाइमर का खतरा, जानिए ये 3 ड्रिंक्स कैसे बनते हैं ब्रेन के लिए स्लो पॉइजन

अगला लेख