प्रवासी हिंदी कविता : जिंदगी के चार पाए

रेखा भाटिया
pravasi poem
 
स्वास्थ, सद्‌बुद्धि, हिम्मत, मेहनत
चार पाए हैं ऐसी खटिया के  
जिन पर टिक कर
आराम से कटती है जिंदगी  
 
जब एक टूट जाए
बाकी तीनों का संतुलन भी
बिगड़ जाए अचानक से
मुश्किल में पड़ जाए जिंदगी  
 
एक छोटा, एक बड़ा हो
तब और भी गड़बड़
ना टिके, ना संभले
बिगड़ जाए संतुलित जिंदगी  
 
किस्मत के भरोसे छोड़ दो
वक्त से सड़ने-गलने लगेंगे
रख-रखाव ख्याल रख लोगे
ताउम्र टिकाऊ मजबूत रहे जिंदगी।

वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: प्रवासी कविता : तस्वीरें चिढ़ा रही हैं

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

वरुण धवन की फिटनेस का राज़ हैं ये 5 Detox Drinks, ऐसे करें अपनी डाइट में शामिल

खीरे के छिलकों से बनाएं ये हेयर मास्क, बाल बनेंगे मुलायम और खूबसूरत

उलझे और फ़्रीज़ी बालों को मुलायम बनाने के लिए इस्तेमाल करें ये 3 हेयर मास्क

Men Face Glow Tips: इन 8 आदतों से भारतीय पुरुष की स्किन रहेगी ग्लोइंग और हेल्दी

कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स

अगला लेख